Osian: जोधपुर के ओसियां के पूर्वी दिशा में पहाड़ी पर स्थित 8वीं से 12वीं शताब्दी के मध्य में बना भव्य मां श्री सच्चियाय का मंदिर विश्व विख्यात है. दन्त कथाओं के अनुसार इस मंदिर में सच्चियाय माता की प्रतिमा आज से लगभग 3000 साल प्राचीन और स्वय भू (प्रकट) हुई महिषा सुरमर्दिनी उसी स्वरूप में आज भी है. देवी मूर्ति की चार भुजाए हैं. सत्य वचन कहने के कारण उसका नाम सच्चियाय माता कहा जाता है.


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साथ ही दन्त कथाओं के अनुसार राजा उत्पलदेव परमार की धर्मपत्नी को स्वप्न में आकर माता ने दर्शन दिए और बताया कि तत्कालिक ओसियां कस्बे के बाहर तालाब में स्वर्ण मुद्राओं का भंडार है, उसे निकालकर इस मंदिर का निर्माण करवाओ. यह कहकर देवी अन्तर ध्यान हो गई. स्वप्न में बताए अनुसार राजा उत्पलदेव ने तालाब से स्वर्ण मुद्राओं का खजाना निकाला और इस मंदिर का निर्माण करवाया.


विश्व विख्यात श्री सच्चियाय माता मंदिर में प्रतिदिन सैकड़ों की तादाद में देशी विदेशीपर्यटक आते हैं, जो मंदिर की कलाकृतियों को बारिकी से निखारते हैं. माता के भक्त देश-विदेश से यहां पर आते हैं जो कि नवरात्रि के दिनों में पुरे नवरात्रा यही पर रहकर मंदिर में देवी की पूजा अर्चना करते हैं. श्री सच्चियाय माता राजपुत, माहेश्वरी, ब्राह्मण, जैन, सोनार, दर्जी, माली, विश्नोई, मेघवाल सहित कई समाजों में आने वाली अलग-अलग जाति विशेष की कुलदेवी हैं. वर्तमान में मंदिर की व्यवस्था और संचालन 1976 में पुजारी स्वर्गीय जुगराज शर्मा द्वारा स्थापित श्री सच्चियाय माता ट्रस्ट द्वारा की जा रही है.


Reporter: Arun Harsh


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