Sardarpura: मारवाड़ी में एक कहावत है कि 'सैंया भए कोतवाल तो फिर डर काहे का' ऐसा ही कुछ नजर आ रहा है जोधपुर के परिवहन विभाग में जहां खुद अधिकारी नियमों की अवहेलना कर रहे हैं, लेकिन उन्हें किसी बात का डर नहीं है. वैसे इस विभाग पर लोगों को यातायात नियमों की पालना करवाने की जिम्मेवारी है, लेकिन विभाग खुद यातायात के नियमों की अवहेलना कर रहा है. ऐसे में परिवहन विभाग पर सवाल खड़े होते हैं कि खुद के विभाग के खिलाफ कार्यवाही कौन करेगा ?


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आम आदमी अगर यातायात व्यवस्था का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ यातायात से जुड़ी एजेंसी चालान बनाकर जुर्माना वसूल करती है. वहीं जिन विभाग पर यातायात नियमों की पालना करवाने की जिम्मेवारी हो अगर वह विभाग भी नियमों की अवहेलना करें तो उसके खिलाफ कार्यवाही कौन करे. हालांकि सरकारी गाइडलाइन है कि जो कर्मचारी अधिकारी सरकारी नियमों की अवहेलना करता है उनको 17 सीसी और 16 सीसी का नोटिस देकर कार्यवाही की जा सकती है, लेकिन शायद जिम्मेवार अपनी आंखें मूंद कर बैठे हैं और अधिकारी अपने आप को वीवीआइपी कल्चर का मानकर अपने वाहनों पर धड़ल्ले से नीली बत्ती लगाकर शहर में घूम रहे हैं. 


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अप्रैल 2017 में लाल बत्ती और नीली बत्ती हटाने के निर्देश दिए थे जिसके बाद पूरे देश में काफी हद तक इन बत्ती वाले वाहनों पर अंकुश लगा था, लेकिन अब फिर धीरे-धीरे अधिकारी नियमों की अवहेलना कर रहे हैं. जोधपुर परिवहन विभाग के कमिश्नर को भी बत्ती लगाने का अधिकार नहीं है, लेकिन जोधपुर के परिवहन विभाग में कई इंस्पेक्टर अपनी गाड़ी पर बत्ती लगाकर चेकिंग के लिए जाते हैं और अपने आप को वीआईपी मानते हैं हालांकि कोरोना संकट काल के दौरान ऑक्सीजन टैंकर लाने के लिए परिवहन विभाग को अधिकृत किया था और उस समय इमरजेंसी को देखते हुए सरकार ने मौखिक आदेश दिए थे, लेकिन अब इस तरह की कोई भी इमरजेंसी नहीं है. इसके बावजूद भी परिवहन विभाग के इंस्पेक्टर बत्ती लगी गाड़ी में घूम कर अपने आपको वीआईपी मानते हैं. 


परिवहन इंस्पेक्टर हाईवे पर जब बत्ती लगी गाड़ी में चेकिंग करते हैं तो कई वाहन ड्राइवरों में भय पैदा हो जाता है और कई बार परिवहन विभाग की गाड़ियों से बचने के चक्कर में दुर्घटना तक हो जाती है और कई बार इन परिवहन इंस्पेक्टर के सहयोगी इन गाड़ियों में बैठकर शहर में घूमते रहते हैं और प्रभाव डालने का प्रयास करते रहते हैं, जबकि अधिकारी की सीट पर बैठने का अधिकार सहयोगियों को नहीं है, लेकिन अधिकारियों के साथ-साथ कर्मचारी भी इन बत्ती वाले वाहनों का आनंद लेते नजर आते हैं. परिवहन अधिकारी रामनिवास बडगूजर से बात की गई तो उन्होंने बताया कि सरकार की तरफ से बत्ती लगाने के लिए आदेश मिले थे. कोरोना संकट काल के दौरान लेकिन अब हटाने के आदेश आए नहीं हैं. जब आदेश आएंगे तब इन गाड़ियों पर लगी बत्तियों को हटा लिया जाएगा. 


वहीं सूर्य नगरी यातायात सलाहकार समिति के अध्यक्ष सैयद ताहिर अली ने बताया कि वैसे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2017 में वीआईपी कल्चर खत्म करने के उद्देश्य से बत्तियां हटाने के निर्देश दिए थे, लेकिन वर्तमान में मौखिक आदेश पर ही परिवहन विभाग में इंस्पेक्टर लेवल के अधिकारी बत्ती लगाकर घूम रहे हैं हालांकि उन्होंने कहा कि क्योंकि रात्रि में ड्यूटी करने के दौरान उन्हें कोई असुविधा नहीं हो इसलिए सरकार को इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए कि उड़न दस्ते में जाने वाली गाड़ियों पर बत्ती लगी होने से अन्य वाहन मालिकों को यह पता चल सकेगा कि जो गाड़ी रुकवा रहा है वह कोई सरकारी विभाग का अधिकारी ही है ऐसे में सरकार को परिवहन विभाग के अधिकारियों को भी बत्ती लगाने के आदेश देना चाहिए.


Reporter: Arun Harsh