Rajasthan News:आने वाली  जनवरी 2024 में  अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का भव्य आयोजन किया जाएगा. मंदिर में भगवान श्री रामलला की पहली आरती सूर्यनगरी जोधपुर के घी से होगी. इसके लिए सोमवार को प्राचीन तरीके से सुसज्जित बैलगाड़ी में घी के 108 कलश रखकर रवाना किए गए.


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 108 कलश  में घी


ये घी शुक्रवार को आगरा रोड 52 फीट हनुमान जी के मंदिर के पास पहुंचा.इस रथ के साथ जोधपुर से कई रामभक्त भी अयोध्या के लिए आए शिव लिंग भी रखे गए है., रथ में 108 कलश के साथ 108 शिवलिंग भी रखे गए हैं. साथ ही भगवान गणेश, रामभक्त हनुमान की प्रतिमाएं भी रखी गई है.


वही इस बारें में पंडित शास्त्री ने बताया कि  शुक्रवार रात में विश्राम 52 फीट हनुमान जी के पास रखा गया है.वही रथ को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोगों ने देखा और भगवान श्री राम के जयकारों से माहौल गुंजायमान हो गया. 


रामभक्तों में है उत्साह
आश्रम के महंत महर्षि संदीपनी महाराज ने बताया भगवान श्री राम का मंदिर बनाने को लेकर सदियों से इंतज़ार था. अब मंदिर बनना खुशी की बात है.इसलिए रामभक्तों में उत्साह है., ये सबके लिए अति सौभाग्य की बात है कि जोधपुर से रामकाज के लिए जोधपुर से विशेष घी जा रहा है.


भरतपुर,मथुरा,लखनऊ होते हुए पहुंचेगा अयोध्या
 यह विशेष घृत-रथ यात्रा जोधपुर से रवाना होकर शुक्रवार को जयपुर  होते हुए भरतपुर, मथुरा, लखनऊ होते हुए अयोध्या पहुंचेगा. इस दौरान मार्ग में प्रमुख गांवों में इस यात्रा का स्वागत जगह-जगह किया जा रहा है. इस यात्रा के दौरान ऐतिहासिक मंदिरों तक शोभायात्रा भी निकाली जाएगी.


 लखनऊ में ये यात्रा पांच दिनों तक रहेगी
महाराज ने बताया ये सिलसिला अयोध्या तक चलेगा. आज 52 फीट हनुमान जी के पास देर रात्रि विश्राम करेंगे. बताया जा रहा है कि लखनऊ शहर में ये यात्रा पांच दिनों तक रहेगी. पूरे लखनऊ शहर में इस यात्रा को बैलों के साथ घुमाया जाएगा. हर रथ में 3 लोग सेवा देंगे. एक रथ पर साढ़े तीन लाख रुपए का खर्च आया है.


गायों की डाइट में हुआ बदलाव
महाराज संदीपनी ने बताया कि यदि घी में मिलावट हो तो वो जल्दी खराब हो जाता है.उन्होंने जो देसी घी तैयार किया है, वह प्राचीन परंपरा के अनुसार तैयार किया गया है, जिसकी वजह से ये खराब नहीं होता. उन्होंने आगे बताया कि घी की शुद्धता बनाए रखने के लिए गायों की डाइट में भी बदलाव किया गया. पिछले 9 सालों से गायों को हरा चरा, सूखा चारा और पानी ही दिया गया.


हर तीन साल में घी को उबाला गया-
9 साल में गायों की संख्या 60 से बढ़कर 350 पहुंच गई. इनमे अधिकांश वे गौवंश है, जो सड़क हादसे का शिकार थे या बीमार थे.गायों की संख्या बढ़ी तो घी की मात्रा भी बढ़ने लगी.घी का जड़ी-बूटियों के रस से तो सुरक्षित रखा ही जाता है, लेकिन इसके अलावा भी पूरे घी को हर तीन साल में 1 बार पांच जड़ी बूटियां मिलाकर उबाला गया.


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