Ashok gehlot marriage : अशोक गहलोत का सियासी सफर करीब 50 साल का हो गया है. शिवचरण माथुर से लेकर हरीदेव जोशी और परसराम मदेरणा से लेकर राजेश पायलट और अब सचिन पायलट जैसे कांग्रेसी नेताओं के दौर में उन्होंने खुद को सियासत का जादूगर साबित किया. तो भैरोसिंह शेखावत से लेकर वसुंधरा राजे और अब सतीश पूनिया जैसे प्रदेश स्तर के नेताओं और नरेंद्र मोदी अमित शाह के दौर में भी उनका जादू बरकरार है. यूथ कांग्रेस के रास्ते सियासी सफर तय करने वाले अशोक गहलोत को इंदिरा गांधी ने कांग्रेस की एक्टिव पॉलिटिक्स में एंट्री दिलाई थी. 


अशोक गहलोत की शादी में बवाल


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साल 1977 की बात है. उस वक्त अशोक गहलोत एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष थे. पिता ने उनकी शादी तय की. शादी जोधपुर में ही सुनीता से तय हुई. ये वो दौर था जब देश में छुआछूत हावी थी. जातिगत भेदभाव बहुत ज्यादा होता था. जोधपुर में अशोक गहलोत जिस इलाके में रहते थे वहां कई जातियों के लोग थे. गहलोत भी सियासत में अपना करियर बना रहे थे. तो सभी को साथ लेकर चलना जरुरी और मजबूरी दोनों था. सभी जाति के लोगों से मिलना जुलना था. तो उनकी बारात में सभी वर्ग के लोग थे.


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अशोक गहलोत जब घोड़ी पर चढ़े. बारात रवाना हुई. तो ससुराल पक्ष नाराज हो गया. गहलोत के ससुर ने कहा कि उनके यहां सभी जातियों के लोग बारात में नहीं आ सकते. केवल समाज और सगे संबंधी है वही आ सकते है. पिता लक्ष्मण सिंह ने कहा कि अगर सभी लोगों को अनुमति नहीं मिलती है तो वो बारात ही नहीं ले जाएंगे. पिता के फैसले से अशोक गहलोत भी सहमत थे. जब बात बढ़ने लगी तो ससुराल वाले मान गए. और आखिरकार गहलोत अपने सभी दोस्तों को साथ लेकर ही ससुराल पहुंचे.


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अशोक गहलोत राजस्थान में मुख्यमंत्री के रुप में करीब 15 साल पूरे कर चुके है. इस दौर में भी उनके सामने परसराम मदेरणा से लेकर सीपी जोशी और शीशराम ओला से लेकर गिरीजा व्यास और अब सचिन पायलट जैसे कई नेताओं से मुकाबला रहा. लेकिन वक्त के साथ गहलोत ने सियासी जादूगरी से हर मुश्किल को पार किया.