`डीपफेक` से डरी एक्ट्रेसेस और पीएम मोदी, जानिए कैसे पल भर में बदल जाती है पहचान !
Deepfake: यह टेकनॉलॉजी इतनी गलत तरीके से प्रयोग में लाई जा रही है कि है कि खुद पीएम मोदी ने भी इसे समाज और देश के लिए खतरा बताया है. आखिरकार यह टेक्नोलॉजी क्या है और यह कैसे काम करती है, आइए इसके बारे में डिटेल से जानते हैं.
Deepfake: हाल ही में एआई के जरिए एक्ट्रेस रश्मिका मंदाना की डीपफेक वीडियो जमकर वायरल हो रही थी. जिसे लेकर एक्ट्रेस , सोशल वर्कर सहित लोगों ने काफी एतराज जताया था. क्योंकि इस टेक्नॉलॉजी के जरिए आप किसी भी चेहरे पर कोई भी नामचीन चेहरा लगा कर उसे सुर्खियों का हिस्सा बना सकते है. एनिमल की चर्चित एक्ट्रेस रश्मिका मंदाना के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था. किसी अंजान लड़की के चेहरे पर उनका चेहरा लगाकर उसे सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया था. यह सब एक डीपफेक एआई टूल की वजह से हुआ था. जो इन चर्चाओं के बाद काफी फेमस हो गया था.
यह टेकनॉलॉजी इतनी गलत तरीके से प्रयोग में लाई जा रही है कि है कि खुद पीएम मोदी ने भी इसे समाज और देश के लिए खतरा बताया है. आखिरकार यह टेक्नोलॉजी क्या है और यह कैसे काम करती है, आइए इसके बारे में डिटेल से जानते हैं.
क्या है 'डीपफेक' तकनीक
'डीपफेक' एक डिजिटल तकनीक है, जिसका उपयोग करके किसी व्यक्ति की छवि को, किसी अन्य व्यक्ति की छवि से फोटो से बदला जा सकता है. रश्मिका के मामले में भी ऐसा ही हुआ था. जारा पटेल नामक इंस्टाग्राम अकाउंट ने एक वीडियो में रश्मिका के चेहरे को उनकी जगह एडिट कर दिया था. इस वीडियो को इतने बेहतरीन रूप से संपादित हुआ कि वास्तविक और मिथ्या को भिन्न करना कठिन था. वीडियो को वायरल होने के बाद, अमिताभ बच्चन ने इसे एक्स पर साझा किया, जिसके बाद रश्मिका समेत अनेक सितारों ने चिंता व्यक्त की थी.
डीपफेक वाले एप
डीपफेक बनाने की प्रकिया काफी मुश्किल है लेकिन इसके साफ्टवेयर तक पहुंच काफी आसान है . इसके लिए तकनीकी बाजार में कई एप मौजूद है, जो नए लोगों के लिए भी डीपफेक बनाने का काम काफी आसान बना देते हैं. जैसे चीनी एप जेडएओ, डीपफेस लैब, फेकएप और फेस स्वैप. इतना ही नहीं ओपन सोर्स डेवलपमेंट कम्युनिटी GitHub पर बड़ी संख्या में भी इसके साफ्टवेयर उपलब्ध हैं.
कैसे पहचानें नकली असली
ऐसे कई संकेत हैं, जो डीपफेक की पहचान करने में मदद कर सकते हैं.
डिटेल्स धुंधली या अस्पष्ट
आप स्किन या बालों में किसी तरह की अनइवन देखे. आप चेहरे को ध्यान से देख सकते हैं कि ये कुछ ज्यादा धुंधला तो नहीं लग रहा है.
लाइटिंग अप्राकृतिक लगना
ज्यादातर डीपफेक अल्गारिद्म फेक वीडियो के लिए माडल के तौर पर इस्तेमाल की गई फेक क्लिप की लाइटिंग को ही लेता है. लेकिन टारगेट वीडियो की लाइटिंग से इसे एक करने पर अंतर साफ दिख सकता है.
शब्द या आवाज विजुअल्स के साथ मैच होना
अगर वीडियो फेक है लेकिन मूल आडियो के साथ सावधानी से छेड़छाड़ नहीं की गई है तो हो सकता है कि व्यक्ति का आडियो मैच न करे .
सोर्स का भरोसेमंद होना
पत्रकार और शोध करने वाले इमेज का सही सोर्स चेक करने के लिए रिवर्स इमेज सर्च तकनीक का इस्तेमाल करते हैं . सोर्स कितना भरोसेमंद है, ये चेक करने के लिए आप भी इस तकनीक का इस्तेमाल कर सकते हैं. आपको ये भी देखना चाहिए कि इमेज किसने पोस्ट की है, कहां से पोस्ट की गई है, और इमेज पोस्ट करने का कोई मतलब बनता भी है या नहीं.