Karwa Chauth 2023 : करवा चौथ पर बन रहा शिव योग, बेस्ट मुहूर्त सही विधि के साथ जाने बीज मंत्र
Karwa Chauth 2023 : वैदिक पंचांग के अनुसार 2023 में कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि दो दिन की है. ये तिथि 31 अक्टूबर 2023 को रात 9 बजकर 31 बजे से शुरू होकर 1 नवंबर 2023 को रात 9 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी. इसलिए उदया तिथि को आधार मानते हुए करवा चौथ 1 नवंबर को होगा.
Karwa Chauth 2023 : वैदिक पंचांग के अनुसार 2023 में कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि दो दिन की है. ये तिथि 31 अक्टूबर 2023 को रात 9 बजकर 31 बजे से शुरू होकर 1 नवंबर 2023 को रात 9 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी. इसलिए उदया तिथि को आधार मानते हुए करवा चौथ 1 नवंबर को होगा.
करवा चौथ 2023 पूजा-विधि
करवा चौथ पर महिलाएं चांद को देखकर व्रत को खोलती हैं. इसलिए करवा चौथ पर सुबह जल्दी उठ जाएं और साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद गंगाजल हाथ में लेकर व्रत का संकल्प लिया जाता है. फिर ‘‘मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये कर्क चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये’मंत्र को बोलते हुए, मां पार्वती, भगवान शिव और गणेश जी का पूजन किया जाता है.
छलनी से क्यों करते हैं पति का दीदार
मान्यता है कि छलनी में हजारों छेद होते हैं, जिससे चांद के दर्शन करने से छेदों की संख्या जितनी प्रतिबिंब दिखते हैं. अब छलनी से पति को देखते हैं तो पति की आयु भी उतनी ही गुना बढ़ जाती है. इसलिए करवा चौथ का व्रत करने के बाद चांद को देखने और पति को देखने के लिए छलनी प्रयोग की जाती है इसके बिना करवा चौथ अधूरा है.
पूजा के बाद करवे का क्या करें
पूजा के बाद कभी भी करवा फेंके नहीं. बल्कि पूजा के बाद इसे साफकर वापस अगले करवा चौथ पर इस्तेमाल कर लें या फिर किसी पेड़ के नीचे रखें याद रहे कोई करवे में गदंगी ना डालें, आप करवा बहते पानी में प्रवाहित भी कर सकती हैं. मान्यता है की करवा में करवा माता का वास होता है. इसलिए इसे नहीं फेंकना चाहिए ये करवा माता का अपमान करने जैसा है. आप चाहें तो करवे का रंग कर पौधे लगाने में भी इस्तेमाल कर सकती है. बस करवा का अनादर ना होने दें.या फिर आप करवे पर कलावा बांध कर किसी साफ सुंदर जगह पर रखें.
करवे में क्या भरा जाना चाहिए
कुछ लोग करवा में गेहूं और उसके ढक्कन में शक्कर को भरते हैं. फिर करवा पर 13 रोली की बिंदी को रखकर हाथ में गेहूं या चावल के दाने लेकर करवा चौथ की कथा सुनी जाती है. फिर कथा को सुनने के बाद करवा पर हाथ घुमाकर महिलाएं अपनी सास के पैर छूकर आशीर्वाद लेती हैं और उनको करवा देती हैं. कई जगहों पर करवा में दूध भरा जाता है और तांबे या चांदी का सिक्का डाला जाता है.
आटे के दीपक का करें प्रयोग
करवा चौथ में पूजा के समय आटे के दीपक का प्रयोग करना चाहिए इससे पति की आयु बढ़ती है और हर परेशानी समाप्त होती है. करवा चौथ की पूजा में आटे के दीपक का प्रयोग किये जाने से करवा माता और अन्न्पूर्णा माता खुश होती हैं और की आर्थिक उन्नति में आ रही बाधाएं समाप्त हो जाती है और पति पत्नी की बीच प्यार बढ़ता है.
करवाचौथ और सरगी
करवाचौथ पर सरगी के जरिए सास अपनी बहू को सुहाग का आशीर्वाद देती है. सरगी की थाल में 16 श्रृंगार की सभी सामग्री, ड्रायफ्रूट्स, फल, मिष्ठान जैसी चीजें होती हैं. इसके बाद करवा चौथ व्रत कथा सुनी और पढ़ी जाती है. चंद्रमा के निकलने पर छलनी से या जल में चंद्रमा को देखकर उसकी पूजा और अर्घ्य दिया जाता है. फिर पति का चेहरा देखकर पति के हाथ से पानी और अन्न ग्रहण कर व्रत का समापन होता है.
यू ना बनाएं सरगी की थाली
कभी सरगी की थाली में प्रोसेस्ड फूट, पैक्ड फूड या फिर तली भूनी बहुत सारा तेल लिए भोजन ना रखें. किसी भी तरह की गोल्ड ड्रिंक से परहेज करें ये सब आपको पूरे दिन परेशान कर सकती हैं. सिर्फ बैलेंस डाइट ही सरगी की थाली में रखनी चाहिए . ताकि पूरा दिन बिना खाये पिये भी आप खुश रहें और पूजा में भी मन लगे.
करवा चौथ का महत्व
हिंदू धर्म में सुहागिन महिलाओं के लिए करवा चौथ का व्रत बहुत महत्वपूर्ण होता है. इस दिन सुहाग की तरक्की और लंबी आयु के लिए सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत करती हैं. ये व्रत हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है. सुहागिन महिलाओं के अलावा इन दिन कुंवारी कन्याएं भी व्रत रखती हैं और अच्छे वर की कामना करती हैं. इस दिन मां पार्वती, भगवान शिव और गणेशजी की पूजा का विशेष विधान है. इस साल करवा चौथा का व्रत 1 नवंबर को रखा जाएगा. मान्यता है कि करवा चौथ का व्रत मां पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए रखा था. इसी व्रत के बाद उनका विवाह संभव हुआ था.