Mahashivratri 2024: पुरानी कथाओं के मुताबिक, एक बार भगवान शिव और सूर्य देवता के बीच भीषण युद्ध हुआ था, जिसके कारण महादेव के भक्त रावण के नाना सुमाली था. इसके बारे में ब्रह्मवैवर्त पुराण में बताया गया है. इसी के चलते आज हम आपको उसी कहानी के बारे में बताने जा रहे हैं क्यों भगवान शंकर ने सूर्य देवता पर अपना त्रिशुल चलाया, जिससे उनके तीन टुकड़े हो गए थे. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

ब्रह्मवैवर्त पुराण के मुताबिक, एक समय की बात है जब माली और सुमाली भगवान शिव के पास पहुंचे और उनसे अपनी रक्षा का वरदान मांगा. वहीं, ये वरदान मिलते ही ये दोनों क्रूर हो गए और धरती के विनाश करने लगे. इसके बाद जब वह आकाश की ओर भागने लगे तो उनका रास्ता सूर्यदेव रोका और सूर्य से युद्ध करना शुरू कर दिया लेकिन वे जब हारने लगे तो वे मदद के लिए भगवान शिव को पुकारने लगे. 


भगवान शिव को अपने वादे की वजह से वहां आना पड़ा और इस तरह सूर्य देव और महादेव में युद्ध हुआ. माली और सुमाली को आकाश की ओर बढ़ने से रोकने के लिए भगवान शिव ने सूर्यदेव से युद्ध किया. इस दौरान शिव जी ने सूर्य देव पर त्रिशूल फेंका, जिससे सूर्य देव तीन टुकड़े हो गए और ये तीनों टुकड़े अलग-अलग जगह पर जा गिरे. 


इसके बाद इन तीनों जगह पर सूर्य देवता को समर्पित मंदिर बनाए गए. जहां पहला टुकड़ा गिरा, वहां पर कोणार्क सूर्य मंदिर बनाया गया, जो भारत के ओडिशा राज्य में है. दूसरा स्थान बिहार है, जहां देवार्क सूर्य मंदिर है और तीसरा मंदिर लोलार्क सूर्य है, जो उत्तर प्रदेश में काशी में है. 
 
जानकारी के अनुसार, भगवान शिव के त्रिशूल मारने से सूर्यदेव को चोट लगी और वे बेहोश होकर गिर पड़े. इससे सूर्यदेव के पिता कश्यप गुस्सा हो गए और उन्होंने भगवान शिव को श्राप दिया कि एक दिन शिव अपने खुद के पुत्र पर त्रिशूल चलाएंगे. इसी के चलते शिव ने अपने पुत्र बालगणेश पर त्रिशूल चलाया था, जिससे उनकी गर्दन अलग हो गई थी. 


यह भी पढ़ेंः न हनुमान, न राम-लक्ष्मण इस महाबली राक्षस का मां सीता ने किया था वध


यह भी पढ़ेंः Rajasthan Weather: राजस्थान में पश्चिमी विक्षोभ का असर, बारिश, तेज हवाओं के साथ गिरी बिजली