सीता माता के कौन से श्राप से वीरान हो गई थी राम की अयोध्या नगरी
Ram Mandir: राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा 550 साल बाद 22 जवनरी यानी कल सोमवार को होने वाली है, जिसको लेकर पूरा देश दीवाली मना रहा है. वहीं, जानिए माता सीता के किस श्राप से राम की अयोध्या नगरी वीरान हो गई थी?
Ram Mandir: अयोध्या राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा होने में अब कुछ ही वक्त बाकी है. इस उत्सव को पूरा देश तैयारियां कर रहा है. वहीं, इस दिन देश के हर में दीवाली मनाई जाएगी. भगावन राम 550 साल बाद 22 जवनरी यानी कल सोमवार को गर्भगृह में विराजमान होने जा रहे हैं.
राम मंदिर में रामलाल विराजमान होंगे लेकिन इसको लेकर अयोध्या में रहने वाले लोगों को कहना है कि राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा होने पर रूठी हुई सीता माता खुश हो गई है और वह वापस आ रही हैं.
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दरअसल, हिंदूओं का पवित्र स्थान होने के बावजूद भी चार साल पहले तक राम की अयोध्या नगरी उजाड़ और वीरान जगह हुआ करती थी. वहीं, अयोध्या नगरी का विकास ना होने का कारण यहां के लोग सीता माता के श्राप से जोड़ते हैं. यह सीता माता के वनवास जाने की कहानी से जुड़ा हुआ है.
स्थानीय लोगों के अनुसार, लंका में रावण के वध के बाद वनवास खत्म करके प्रभु राम और सीता माता अयोध्या वापस आए, तो चारो-ओर खुशी छा गई लेकिन ये खुशियां वहीं खत्म हो गई, जब भगवान राम ने सीता माता का त्याग किया और उन्हें वापस वनवास के लिए भेज दिया था.
जानकारी के मुताबिक, भगवान राम ने सीता माता को त्यागने का निर्णय अयोध्या के एक धोबी के तंज कसने के बाद लिया था. धोबी ने सीता माता को पराये मर्द (रावण) के पास रहने का तंज कसा था.
वहीं, भगवान राम ने माता सीता को बिना कुछ बताए ही लक्ष्मण के साथ वनवास पर भेज दिया था. वहां पहुंचने के बाद माता सीता को इस बारे में पता चला. कहा जाता है कि सीता माता भगवान राम के इस फैसले से गुस्सा हुई थी. वहीं, माता सीता ने इसके लिए अयोध्या नगरी के लोगों की सोच को जिम्मेदार माना था.
इसके बाद माता सीता ने अयोध्या को श्राप दिया था कि वह कभी भी खुश नहीं रहेगी और हमेशा वह जगह उदास और उजड़ी हुई रहेगी. माना जाता है कि माता सीता के इसी श्राप के वजह से महाभारत के युद्ध में रघुवंश के आखिरी राजा यानी प्रभु राम के आखिरी वंशज राजा बृहद्बल की वीरगति के बाद अयोध्या नगरी उजड़ी ही रही थी.
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चाहें अयोध्या के चारों ओर तरक्की होती रही हो, लेकिन राम की अयोध्या नगरी हमेशा उजड़ी हुई रही. वहीं, अब यहां राम मंदिर के निर्माण के बाद तरक्की होने लगी है, जिसको लेकर कहा जा रहा है कि सीता माता का श्राप अब मिट गया है.