Parama Ekadashi : 3 साल बाद आज परमा एकादशी, ये उपाय घर लाएंगे खुशियां
Parama Ekadashi : हिंदू पंचांग में 24 एकादशियां होती हैं लेकिन हर तीसरे वर्ष में पुरुषोत्तम मास शामिल होने के कारण एकादशियों की संख्या बढ़कर 26 हो जाती है. पुराणों में वर्णित इन सभी एकादशियों का महत्वपूर्ण स्थान है. यह तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है लेकिन परमा एकादशी सभी एकादशियों में सबसे ज्यादा लाभ देने वाली हैं.
Parama Ekadashi : हिंदू पंचांग में 24 एकादशियां होती हैं लेकिन हर तीसरे वर्ष में पुरुषोत्तम मास शामिल होने के कारण एकादशियों की संख्या बढ़कर 26 हो जाती है. पुराणों में वर्णित इन सभी एकादशियों का महत्वपूर्ण स्थान है. यह तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है लेकिन परमा एकादशी सभी एकादशियों में सबसे ज्यादा लाभ देने वाली हैं.
परमा एकादशी को पुरूषोत्तम मास या अधिक मास के कृष्ण पक्ष की 11वीं तिथि या एकादशी तिथि को मनाया जाता है और यह तिथि तीन साल में केवल एक बार आती है जिससे इसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है.
परमा एकादशी को पुरूषोत्तम एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन व्रत रखना और दान करना बहुत शुभ होता है. पुराणों में दर्शाया गया है कि इस एकादशी का व्रत करने और इसकी कथा सुनने से धन संबंधी सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं. अगर कोई किसी वजह से व्रत नहीं कर पाता है तो इस व्रत की कथा सुनने मात्र से ही लोगों के जीवन से दरिद्रता दूर हो जाती है.
परमा एकादशी 2023: तिथि और मुहूर्त
परमा एकादशी की तिथि: 12 अगस्त 2023
परमा एकदशी तिथि की शुरुआत: परमा एकदशी 11 अगस्त 2023 को शुरू होगी.
परमा एकदशी तिथि का समापन: परमा एकदशी तिथि का समापन 12 अगस्त को सुबह 06:33 बजे के बाद होगा.
व्रत पारण मुहूर्त
परमा एकादशी का पारण मुहूर्त: 13 अगस्त 2023 प्रातः 05:48 बजे से. प्रातः 08:27 बजे तक सुबह में
अवधि: 02 घंटे 38 मिनट
परमा एकादशी महत्व
धर्म शास्त्रों में परमा एकादशी का बहुत महत्व बताया गया है. शुभ फल प्राप्त करने के लिए भगवान विष्णु से संबंधित वस्तुएं जैसे धार्मिक पुस्तकें, अनाज, फल और मिठाई का दान करना चाहिए. ऐसा करने से व्रत का लाभ प्राप्त होता है. इस व्रत को करने से सभी 24 एकादशियों के व्रत का पुण्य फल प्राप्त होता है. जातक को प्रचुर सौभाग्य और धन भी प्राप्त होता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए. इससे हमारे पूर्वज तृप्त होते हैं.
परमा एकादशी पूजा विधि और नियम पूजा और व्रत नियम
परमा एकादशी का व्रत रखने वाले व्यक्ति को ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है. उन्हें हर तरह के गलत कामों और दूसरों की आलोचना से दूर रहना होगा. आज के दिन भक्त विष्णु सहस्रनाम या भगवद गीता को पठना चाहिए. आज किया गया दान दो गुना फल देने वाला होता है.
परमा एकादशी व्रत कथा
परमा एकादशी की कथा सबसे पहले भगवान श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर को सुनाई थी. शास्त्रों की एक कथा के अनुसार पुराने समय में काम्पिल्य नगर में सुमेधा नाम का एक ब्राह्मण और उसकी पत्नी साथ रहते थे. वे दोनों बहुत बुद्धिमान और धार्मिक थे. लेकिन पैसों की कमी के कारण उन्हें अपनी गरीबी का बहुत दुख होता है. एक दिन सुमेधा ने अपनी पत्नी से कहा कि वह विदेश जाकर धन कमाकर अपनी गरीबी दूर करना चाहता है. पत्नी अपने पति को समझाती है कि हमने किसी का बुरा नहीं किया है और हम हमेशा भगवान की पूजा करते हैं. इसके बावजूद हमारे साथ ऐसा हो रहा है तो इसका कोई न कोई कारण तो होगा ही. हो सकता है कि हमें पिछले जन्मों में किये गये कर्मों का फल मिल रहा हो. अपनी पत्नी सुमेधा की बात सुनकर ब्राह्मण ने विदेश जाने की योजना बदल दी.
एक दिन, ऋषि कौंडिल्य वहां से गुजर रहे थे, इसलिए वे ब्राह्मण जोड़े के घर में कुछ आराम करने के लिए रुके. वे अपनी शक्ति के अनुसार ऋषि की सेवा करते थे. उनका व्यवहार देखकर ऋषि प्रसन्न हो गये. सुमेधा ने ऋषि से कहा कि उनके पास पवित्र मन और निस्वार्थ सेवा की भावना के अलावा और कुछ नहीं है. सुमेधा ने कहा, “कृपया हमारी गरीबी दूर करने का कोई उपाय बताएं।” ऋषि कौंडिल्य ने उन्हें उपाय बताते हुए कहा कि उन्हें मलमास या पुरूषोत्तम मास के कृष्ण पक्ष में 11वीं तिथि (ग्यारहवें दिन) पर आने वाली परमा एकादशी का व्रत करना चाहिए. यदि वे विधिपूर्वक इस व्रत को करेंगे तो वे धनवान और धनवान हो जायेंगे. दोनों ने ऋषि के बताये अनुसार व्रत किया.उसके बाद, उनकी सभी समस्याएं दूर हो गईं और वे अपना शेष जीवन खुशी से व्यतीत करने लगे. इसके बाद वे भगवान विष्णु के लोक में चले गये.
परमा एकादशी उपाय
विधिपूर्वक परमा एकादशी पर की गयी पूजा और व्रत से भगावन विष्णु प्रसन्न् होते हैं और जातक को धन, यश और मोक्ष मिलता है. पूजा के समय भगवान विष्णु के मंत्र ओम नमो भगवते वासुदेवाय का जाप करना चाहिए. ये मंत्र सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करता है. विष्णु पूजा के समय तुलसी के पत्ते और पंचामृत का प्रयोग करना ना भूलें.
परमा एकादशी के दिन पीपल के पेड़ वाले मंदिर में जाएं और भगवान विष्णु की पूजा करें. फिर पीपल की जड़ को जल से सींचकर उसके नीचे घी का दीप जलाएं. एक तेल का दीपक शनि देव के मंदिर में भी जलाएं और इस उपाय को करने से आपको कर्ज से मुक्ति मिल जाएगी और साढ़ेसाती और ढैय्या का दुष्प्रभाव समाप्त हो जाएगा.
परमा एकादशी के दिन भगवान विष्णु को पीले फूल, हल्दी, पीला चंदन, बेसन के लड्डू, केला अर्पित जरूर करें. वहीं भगवान शिव को दूध में केसर मिलकार चढ़ा दें. इससे आपको भगवान हरिहर का आशीर्वाद मिल जाएगा और धन लाभ के साथ वैवाहिक सुख का आनंद मिलेगा.
शनिवार के दिन आ रही परमा एकादशी के दिन हनुमान मंदिर में पूजा कर सरसों का दीपक जला लें. गुड़-चना और केले का भोग लगाये और सुंदरकांड- हनुमान चालीसा का पाठ करें. सभी तरह के डर से आपको मुक्ति मिल जाएगी.
घर में लगे तुलसी के पौधे को ईशान कोण यानि उत्तर-पूर्व दिशा में रखकर, सुबह परमा एकादशी पूजा के बाद तुलसी की पूजा कर लें. फिर जल से सींचे और परिक्रमा कर घी का दीपक जलाएं. इस उपाय से घर में सुख, शांति और समृद्धि हमेशा बनी रहेगी
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