करौली: कैलादेवी वन्य जीव अभयारण्य क्षेत्र में शनिवार से बहुप्रतीक्षित पर्यटन सफारी शुरू हो गई. क्षेत्र में जंगल सफारी शुरू होने से क्षेत्र में पर्यटन को पंख लगने की उम्मीद जगी है. ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री रमेश मीणा व डीएफओ डॉ रामानंद भाकर ने मंडरायल क्षेत्र स्थित खान की चौकी पर पांच जिप्सी को हरी झंडी दिखाकर जंगल सफारी का शुभारंभ किया. इस दौरान मंत्री ने मूक बधिर आवासीय विद्यालय के छात्रों के साथ अलग अलग जिप्सी में बैठ कर जंगल सफारी का लुत्फ उठाया. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

मंत्री ने कहा की जंगल सफारी शुरू होने से क्षेत्र में पर्यटन को पंख लगेंगे. साथ ही क्षेत्र में विकास होगा और रोजगार की अपार संभावनाएं बढ़ेंगी. मंत्री ने कहा की कैलादेवी वन्य जीव अभ्यारण्य में विस्थापित होने वाले गांवों के निवासियों को सरकार द्वारा कम राशि दी जा रही है. उन्होंने विस्थापन में मुआवजा राशि 15 लाख से बढ़ाकर 25 लाख रुपए करने की मांग की. मंत्री ने उम्र की सीमा भी हटाने की मांग.की. उन्होंने कहा कि प्रत्येक निवासी को 25 लाख रुपए मुआवजा मिले. जिससे विस्थापित होने पर आराम से जीवन यापन कर सके.


यह भी पढ़ें: गहलोत को कॉपी कर रहे हैं मोदी जी, पीएम के सिरोही दौरे पर मुख्यमंत्री ने ली चुटकी


सफारी शुरू होने से सैलानियों में उत्साह


यहां गैरतलब है की लम्बे इंतजार के बाद पहली बार कैलादेवी वन्य जीव अभयारण्य क्षेत्र में पर्यटन सफारी शुरू होने से लोगों में खुशी छाई है. रणथम्भौर बाघ परियोजना (द्वितीय) करौली के उपवन संरक्षक डॉ. रामानन्द भाकर ने बताया कि रणथम्भौर बाघ परियोजना (द्वितीय) कैलादेवी वन्य जीव अभयारण्य में शनिवार से पर्यटन सत्र शुरू हुआ है. खान की चौकी झारिला सफारी रूट करीब 20 किलोमीटर लंबा है. जिसे घूमने में करीब 3 घंटे लगेंगे प्रत्येक सफारी के लिए 650 किराया निर्धारित किया है.


यह भी पढ़ें: सियासी संग्राम के बाद पहली बार CM गहलोत बोले- राजस्थान से बाहर नहीं जाऊंगा, चाहे..


रणथम्भौर नेशनल पार्क से जुड़ा है क्षेत्र


गौरतलब है कि गत वर्ष कैलादेवी वन्य जीव अभयारण्य क्षेत्र में तीन सफारी रूटों पर पर्यटन शुरू करने की स्वीकृति मिली है. सवाईमाधोपुर रणथम्भौर नेशनल पार्क से जुड़ा  क्षेत्र 774 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है, जिसमें विभिन्न वन्यजीवों के साथ लगातार बाघों का भी मुवमेंट बना रहता है. वर्तमान में भी इस अभयारण्य क्षेत्र में 7 बाघों का मूवमेंट बना हुआ है. जल्द ही अभ्यारण्य में 100 से अधिक चीतल छोड़ने की भी योजना है. कैलादेवी वन्य जीव अभ्यारण्य से 44 गांव का विस्थापन होना है. जिनमें से मात्र एक गांव का विस्थापन ही पूरा हो सका है.


रिपोर्टर- आशीष चतुर्वेदी