Kota: प्रदेश भर के रेजिडेंट डॉक्टर (Resident Doctor) अपनी 8 सूत्रीय मांग को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल (Indefinite Strike) पर चले गए हैं. ऐसे में चिकित्सा व्यवस्था लगातार बिगड़ती जा रही है क्योंकि सरकारी अस्पतालों में रेजिडेंट डॉक्टर बैकबोन कहे जाते हैं लगभग काम का पूरा जिम्मा रेजिडेंट डॉक्टरों के भरोसे ही होता है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

रेजीडेंट डॉक्टर के राष्ट्र व्यापी आंदोलन का अब हर और असर देखने को मिल रहा है. लंबे समय से अपनी 8 सूत्रीय मांगों को लेकर विरोध कर रहे रेजिडेंट डॉक्टरों ने कल रात से पूर्ण कार्य बहिष्कार (Complete Work Out) कर दिया है. इसके बाद अब आपातकालीन सेवाएं भी सीनियर डॉक्टरों के भरोसे आ गई हैं. कोटा (Kota News) के सभी अस्पतालों में रेजिडेंट डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने के बाद चिकित्सा व्यवस्था पर बड़ा असर देखने को मिल रहा हैं.


यह भी पढ़ें - लौकी की एक ऐसी अनोखी किस्म, जो भर दे 50 लोगों का पेट


मौसमी बीमारी और ऊपर से ओमीक्रोन (Omicron) दस्तक दे रहा है ऐसे में रेजिडेंट डॉक्टर का हड़ताल पर जाना चिकित्सा विभाग (Medical Department) के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण होने वाला है. कोटा में भी मेड़िकल कॉलेज के तकरीबन 240 रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल पर चले गए हैं ऐसे में सीनियर्स डॉक्टर ने मोर्चा संभाला तो है लेकिन मरीजों को खासी दिक्कतों का सामना करना ही पड़ेगा. सीनियर डॉक्टर भी मानते हैं कि हालात विकट होने वाले हैं .


वहीं अगर रेजिडेंट डॉक्टर्स की मानें तो वह अपनी मांगों पर अड़े हैं और हालात चाहे कैसे भी हो जाएं लेकिन रेजिडेंट डॉक्टर मन बना चुके हैं कि जब तक उनकी मांग नहीं मानी जाएगी तब तक वह काम पर नहीं लौटेंगे.