Kota: कोरोना मरीजों को लगने वाले रेमडेसिवीर इंजेक्शन (Remdesivir Injection) की कालाबाजारी जमकर हो रही है. ऐसे में कोटा मेडिकल कॉलेज (Kota Medical College) प्राचार्य को इस संबंध में एक सूचना मिली थी. 


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उन्होंने ही मरीज के परिजन बनकर इंजेक्शन बेचने की बात करने वाले युवक से बात की और पुलिस के जरिए डिकॉय ऑपरेशन (Decoy operation) किया, जिसमें इस पूरी मामले का पटाक्षेप हुआ है. 


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इसके बाद पुलिस ने 10 हजार रुपए में एक इंजेक्शन बेचने वाले दो भाइयों को गिरफ्तार किया है. यह मूलतः बूंदी जिला केशोरायपाटन इलाके के निमोदा गांव निवासी हैं. हाल में यह कोटा शहर के महावीर नगर इलाके में रह रहे थे. इनमें एक मनोज कुमार रैगर निजी अस्पताल में नर्सिंग कर्मी है. दूसरा राकेश कुमार रैगर मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल के सामने निजी लैब में कार्यरत युवक है. पुलिस के गिरफ्तार करने के बाद आरोपियों ने बताया कि यह इंजेक्शन निजी अस्पताल में मरीज की मौत के बाद मनोज ने रख लिए थे.


डॉ. सरदाना को जानकारी मिलने पर खुद की बात
मामले के अनुसार, मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. विजय सरदाना को एक मरीज के परिजन ने शिकायत की थी कि उनका मरीज मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल में भर्ती है और उससे बाहर से ही जांच करवाई जा रही है और दवाइयां भी बाहर से ही मंगवाई जा रही हैं. इस संबंध में उन्हें यह भी जानकारी मरीज के परिजन ने दी कि निजी लैब से युवक सैंपल लेने आया था. वह अपने मोबाइल नंबर देकर गया है और रेमडेसिवीर इंजेक्शन दिलवाने की बात कह रहा था. 


पुलिस भी हो गई सतर्क
खुद मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ. विजय सरदाना ने फोन पर बातचीत उस युवक से की. डॉ सरदाना ने खुद को मरीज हीरालाल का परिजन रमेश बताया. लगातार तीन से चार बार बात हुई बातचीत में निजी लैब कार्मिक राकेश कुमार रैगर 20 हजार रुपये में दो इंजेक्शन देने के लिए तैयार हो गया. इस बारे में कोटा शहर पुलिस के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रवीण जैन को डॉ. विजय सरदाना ने सूचना दी जिसके बाद पुलिस एक्टिव हो गई.


शक हुआ तो डॉ. सरदाना ने कहा कि वह फिजियोथेरेपिस्ट हैं
फोन पर बातचीत के दौरान राकेश को डॉ. सरदाना पर शक हो गया उन्होंने कहा कि ट्रूकॉलर पर आपके डॉक्टर लिखा आ रहा है. तब उन्होंने कहा कि वे फिजियोथैरेपिस्ट हैं और उन्हें कोई भी मदद नहीं कर पा रहा है. 


पुलिस ने ऐसे आरोपियों को पकड़ा
एडिशनल एसपी प्रवीण जैन के निर्देश पर पुलिस निरीक्षक और डीएसटी टीम के प्रभारी नीरज गुप्ता इंजेक्शन लेने के लिए पहुंचे. उनका हुलिया ही डॉ. विजय सरदाना ने इंजेक्शन के लिए दलाली कर रहे राकेश कुमार रैगर को बताया. राकेश कुमार ने इंजेक्शन देने के लिए एलआईसी बिल्डिंग के नजदीक बुलाया, जिस पर नीरज गुप्ता पहुंच गए. उसने अपने भाई नर्सिंग कर्मी मनोज कुमार रैगर को इंजेक्शन लेकर बुलाया. जब मनोज इंजेक्शन लेकर पहुंचा. निरीक्षक नीरज गुप्ता ने एटीएम से पैसे लाने की बात कही. इतनी देर में पुलिस ने दोनों को दबोच लिया और महावीर नगर थाना लेकर गई, जहां पर उन्हें इस मामले में गिरफ्तार कर लिया है. मनोज कुमार रैगर निजी अस्पताल में नर्सिंग कर्मी है. उसका भाई राकेश कुमार रैगर मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल के सामने स्थित एक लैब में कार्यरत है. 


तीन नर्सिंग कर्मी हुए एपीओ, जांच भी शुरू
पूरे प्रकरण में तीन नर्सिंग कर्मियों को एपीओ किया गया है. अस्पताल में बाहर के व्यक्ति की आवाजाही, दवाइयों को बाहर से मंगाना और जांच भी निजी लैब से होना संदिग्ध है. इस दौरान उन्हें मेडिकल कॉलेज प्राचार्य ऑफिस भेजा गया है. इनमें हेमलता मीणा, ललिता कुमारी और ममता सुमन शामिल हैं.


मामले में चार सदस्यीय जांच कमेटी भी गठित कर दी गई है, जिसमें जांच अतिरिक्त प्राचार्य डॉ. देवेंद्र विजयवर्गीय और मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. मीनाक्षी शारदा शामिल है.


Reporter- KK Sharma