Kota: कोटा के सांगोद में फसलों में रोग प्रकोप से परेशान किसानों को राहत पहुंचाने की मंशा से कृषि विभाग के अधिकारी खेतों में पहुंचे. अधिकारियों ने गांवों में फसलों में रोग प्रकोप की स्थिति देखी किसानों को रोग प्रकोप पर नियंत्रण के उपायों को लेकर जानकारी दी. इन दिनों क्षेत्र के कई गांवों में सोयाबीन की फसल रोग प्रकोप से जूझ रही है. कृषि पर्यवेक्षक राजू लाल गोचर, विजय मीणा, रामस्वरूप नागर, उदयलाल गोचर आदि कृषि अधिकारियों ने अमृतकुआं, बोरीनाकलां, गुरायता, विजयपुर, दिल्लीपुरा, सांगोद समेत कई गांवों में पहुंचकर खेतों में फसलों की स्थिति देखी. कृषि अधिकारियों ने किसानों को जलभराव से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए खेतों से पानी की निकासी के बंदोबस्त करने की सलाह दी. अधिकारियों ने बताया कि सोयाबीन की फसल में फफूंदजनित बीमारियां सामने आई है. इसके नियंत्रण के लिए टेबूकोनाझोल अथवा टेबूकोनाझोल प्लस व सल्फर अथवा पामरोक्लोस्ट्रोबीन अथवा हेक्जाकेनाजोल का छिड़काव करे.


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इन पर ऐसे करे नियंत्रण
फसलों की जांच के बाद अधिकारियों ने बताया कि कई क्षेत्रों में पत्ती खाने वाली इल्लियों द्वारा नुकसान पहुंचाया जा रहा है. इस प्रकार की फसल में दौबारा फूल व फलियों की संभावना रहती है. इसके लिए आवश्यकतानुसार सिंचाई करे. नियंत्रण के लिए कीटनाशक छिड़काव करे तथा कीटनाशक को प्रभावी बनाने के लिए इंडोवसाकार्ब या लैम्ब्रडा सायहेलोथ्रिन का छिड़काव करे.


पौधें को उखाड़ फेंकना जरूरी
कई क्षेत्रों में सोयाबीन की फसल में पीला मोजेक वायरस बीमारी का प्रकोप देखा गया है. इसके नियंत्रण के लिए प्रारंभिक अवस्था में ही अपने खेत में जगह-जगह पीला चिपचिपा टेल लगाए. साथ ही फसल में पीला मोजेक बीमारी का लक्षण दिखते ही ग्रसित पौधे को उखाड़कर फेंक दे. सफेद मक्खी के नियंत्रण के लिए बीटासाईक्लुब्रिन, इमिडाक्लोरीन या पूर्व मिश्रित बायोमिथोक्सोम व लैम्ब्रडा का छिड़काव करे.


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