Rajasthan News: यह रिवाज राजस्थान के बिजौलियां में राजे-रजवाड़ों ने जमाने से लोग निभाते आ रहे हैं. हालांकि अब दूल्हे को मां सांकेतिक पताशा खिलाकर आशीर्वाद देती हैं.


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मान्यताओं के मुताबिक, दूल्हे की मां शीतला माता से मांगती है कि मैंने अपने बेटे का दूध पिलाकर और खून से सींचकर आज इतना बड़ा कर दिया है कि आज वह शादी के लायक हो गया है. अब आप मेरी और मेरे बेटी की रक्षा करना. 


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मां शीतला से गुहार
कोटा शहर के बिजौलियां गांव में शादी से पहले दूल्हे को उसकी मां सबसे सामने स्तनपान करवाती है और उसे आशीर्वाद देती है. यह परंपरा सदियों से यहां के लोग निभा रहे हैं. इस रिवाज का काफी महत्व है. आज भी यहां रहने वाले कई लोग इस परंपरा को पूरे तरीके से निभाते हैं. इस रस्म को निभाते हुए दूल्हे की मां अपनी और अपने बेटे की रक्षा के लिए मां शीतला से गुहार लगाती है. 


 कुम्हार मंदिर का पुजारी
कोटा शहर के अंदर एक शीतला माता मंदिर और एक बेदरी माता का मंदिर है, जहां पर शीतला सप्तमी के दिन पूरे कस्बे की महिलाएं रात आठ बजे से लेकर पूरी रात माता की पूजा करती हैं. इस कस्बे में 12 कुम्हार परिवार रहते हैं. इस मंदिर के पुजारी भी एक कुम्हार ही है. 


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शीतला और बोदरी माता मंदिर में शीतला सप्तमी के दिन महिलाएं आती हैं और ठंडे भोजन, दही, चावल, पापड़ आदि का भोग माता को लगाती हैं. इसके अलावा अगर किसी महिला की मांगी हुई कोई मन्नत पूरी हो जाती है, तो वह दोनों मंदिरों में चांदी के नेतर और नगदी चढ़ाती है. इसके साथ ही महिलाएं माता का धान, कपड़ा, नमक, भोग का खाना भी चढ़ाती हैं. कहा जाता है कि शीतला माता जलन, त्वचा रोग, फोड़े-फुंसी, लाल दाने आदि से भी अपने भक्तों की रक्षा करती है.