Kota: आंगनबाड़ी केंद्रों पर पढ़ने वाले बच्चों के साथ ही कार्यकर्ताओं के लिए भी अच्छी खबर है. सरकार अब आंगनबाड़ी केंद्रों को प्री-प्राइमरी एजुकेशन सेंटर के रूम में विकसित करने की तैयारी कर रही है. इससे पहल जल्द ही आंगनबाड़ी केंद्रों को सरकार की ओर से बिजली से रोशन किया जाएगा. बिजली कनेक्शन से वंचित आंगनबाड़ी केंद्रों पर बिजली के अभाव में हो रही असुविधाओं के मद्देनजर सरकार ने बिजली सुविधा से वंचित सभी केंद्रों को बिजली कनेक्शन मुहैया करवाए जाने की योजना बनाई है.


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आंगनबाड़ी केंद्रों पर चरणबद्ध ढंग से विद्युत कनेक्शन उपलब्ध कराते हुए केंद्र की कक्षाओं को रोशन किया जाएगा. इसके लिए केंद्रों की ओर से आवेदन संबंधी प्रक्रिया शुरू कर दी है. सरकार की नई पहल से आंगनबाड़ी केंद्रों पर पहले चरण में सांगोद ब्लॉक के 61 आंगनबाड़ी केंद्रों को विद्युतीकृत किया जाएगा. उल्लेखनीय है कि सांगोद ब्लॉक में दो सौ से अधिक आंगनबाड़ी केंद्र संचालित है. अधिकतर केंद्र स्कूल, सामुदायिक भवन, किराए के भवनों में संचालित हैं.


मिलेगी बिल की राशि भी


मुख्यमंत्री बजट घोषणा के तहत विभाग ने प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्र को 5 हजार रुपए डिमांड राशि के लिए और 500 रुपए प्रति माह बिजली बिल की राशि की स्वीकृति जारी की है. फिलहाल डिमांड व बिल राशि कार्यकर्ताओं को देनी होगी, बाद में विभाग की ओर से यह उनकेखातों में हस्तांतरित कर दी जाएगी. इसके लिए केंद्र कार्यकर्ताओं की ओर से बिजली कनेक्शन के लिए आवेदन लेने संबंधी फाइलें तैयार करना शुरू कर दिया गया है.


सामग्री जनसहयोग से
वर्तमान में विभाग के जितने भी आंगनबाड़ी केंद्र हैं, उनमें अधिकांश में विद्युत कनेक्शन नहीं है. कई केंद्रों में किसी नजदीक पर चलने वाले किसी भवन या फिर स्कूल भवन से व्यवस्था की जा रही है. ऐसे में कई बार गर्मी में परेशानी का सामना करना पड़ता था. फिलहाल केंद्र पर बिजली फिटिंग का कार्य व बल्ब, पंखे, खिलौने, बच्चों के लिए बैठने के लिए सामग्री जनसहयोग के माध्यम से उपलब्ध कराई जाएगी.


मिलेगा बच्चों व कार्यकर्ताओं को लाभ


कई केंद्रों में बिजली कनेक्शन नहीं होने से बच्चों को अंधेरे में वहीं गर्मी में पसीने से तरबतर होकर पढऩा व खेलकूद गतिविधियां करनी पड़ती है. केंद्रों पर बिजली कनेक्शन होने के बाद यहां पढऩे आने वाले बच्चे, गर्भवती व धात्री महिलाओं को गर्मी से निजात मिलेगी. साथ ही नामांकन और ठहराव की समस्या भी दूर होगी. बच्चे भी नियमित आने लगेंगे और केंद्रों में चलने वाली गतिविधियों पर भी बच्चों का रुझान बढ़ेगा.


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