Holi 2024 : डीडवाना की अनूठी डोलची मार होली, खेलने वालों के उड़ जाते हैं कपड़े, मार खाने को रहते है लालायित
Holi 2024 : डीडवाना में जिस तरह से होली मनाई जाती है वैसी भारत भर में कहीं नहीं मनाई जाती. वैसे तो होली का त्यौहार हास्य व्यंग्य और मस्ती के लिए मशहूर है लेकिन डीडवाना में एक अनूठी परम्परा है. धुलंडी के दिन रंगों से सराबोर होने के बाद सरकार के हाकम इस गेर की शुरुवात करते है.
Holi 2024 : डीडवाना में निकलने वाली ऐतिहासिक डोल्ची मार होली (राज गैर) हाकम को डोलची मार कर विधिवत रूप से डीडवाना उपखंड कार्यालय से शुरू डीडवाना में खेली जाने वाली इस अनूठी परंपरा का निर्वहन सेंकडों वर्षों से डीडवाना मे आज भी किया जाता है.
डीडवाना में जिस तरह से होली मनाई जाती है वैसी भारत भर में कहीं नहीं मनाई जाती. वैसे तो होली का त्यौहार हास्य व्यंग्य और मस्ती के लिए मशहूर है लेकिन डीडवाना में एक अनूठी परम्परा है. धुलंडी के दिन रंगों से सराबोर होने के बाद सरकार के हाकम इस गेर की शुरुवात करते है.
प्रथम डोलची हाकम के लगाने के बाद ये गेर कचहरी परिसर से शुरू होकर नगर भ्रमण करते हुए शहर भर के लगभग 20 से ज्यादा मोहल्लों में जाती है,डोलची मार गेरीयो कचहरी परिसर से सभी टोलियां एक साथ निकलती है.
पूरे नगर की परिक्रमा के लिए जिसे गैर कहा जाता है और बाजार से जब यह जुलूसनुमा गैर निकलती है तो हर समुदाय के लोग पलक फावड़े बिछाकर इसका स्वागत करते हैं.
माना जाता है की इस गैर का प्रचालन राजा महाराजाओं के समय से है तत्कालीन हाकम को डोलची मार कर इस गैर की शुरुआत की जाती है. लोहे के डिब्बे को विशष तरीके से काटकर डोलची का आकार दिया जाता है उस में पानी और रंग भरकर गैर खेलने वाले एक दुसरे पर मारते हैं. जिसकी मार काफी तेज होती है. इस डोलची गैर को खेलने के लिए विदेशों तक में बसे डीडवाना के प्रवासी लोग यहां खींचे चले आते हैं.
डोलची की मार असहनीय होते हुए भी लोग इसका आनंद लेते हैं जिसके पिच्छे लोगों की मान्यता है की डोलची की मार खाने के बाद साल भर तक मार खाने वाले को कमर का दर्द नहीं होता.