Jayal, Nagaur News: राजस्थान के जायल उपखंड की एक मात्र कृषि उपज मंडी के स्थापित होने के 20 वर्षों बाद भी सुविधाओं का अभाव है. राज्य सरकार द्वारा मंडी के लिए बजट में कोई विशेष घोषणा भी नहीं की गई, जिससे सुविधाओं का विस्तार हो सके. सन 2018 में स्थानीय विधायक डॉ मंजू बाघमार की मांग पर राज्य की तत्कालीन भाजपा सरकार ने जायल गोंण. कृषि मंडी यार्ड को मुख्य मंडी का दर्जा देने की घोषणा की थी. 


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मुख्य मंडी का दर्जा मिलने के बाद लंबे समय से किसानों को कृषि उपज मंडी के विस्तार होने से बड़ी सुविधाए मिलने का इंतजार था, लेकिन पिछले माह कृषि उपज मंडी समिति के हुए चुनावों के बाद स्थानीय विधायक डॉ मंजू देवी मेघवाल द्वारा नवगठित कृषि उपज मंडी का फीता काटकर केवल औपचारिकता पूरी कर दी गई. राज्य सरकार द्वारा मुख्य मंडी के लिए कोई विशेष बजट की भी घोषणा नहीं करने से वर्तमान समय में मंडी में कैंटीन, पानी, छाया सहित अनाज भंडारण आदि अन्य मूलभूत सुविधाओं का लाभ किसानों को नहीं मिल पा रहा है. 


मुख्य कृषि उपज मंडी को कागजों में जरूर मुख्य मंडी का दर्जा मिला, लेकिन कर्मचारियों की नियुक्ति, नई दुकानों के लाइसेंस जारी करने की प्रकिया आदि नहीं होने से मंडी में कुछ भी नहीं बदला. मंडी परिसर में अनाज भंडारण सहित सुविधाओं की कमी के चलते अनाज खरीद करने वाले व्यापारी भी मंडी से दूरियां बनाते नजर आए. मंडी परिसर में लाइसेंस धारी दुकानों की कमी के चलते किसानों को अपनी उपज सही मूल्य भी नहीं मिल रहा. पिछले कई वर्षों से मंडी में किसानों के अनाज की बोली भी नहीं लगती, जिसके चलते किसानों को मजबूरन आस-पास की दूसरी मंडियों में अनाज बेचना पड़ रहा है. 


कृषि उपज मंडी में पानी, छाया, कैंटीन आदि की मूलभूत सुविधाएं मुख्य मंडी का दर्जा मिलने के बाद भी कोसो दूर है. कृषि मंडी परिसर में आज भी शुद्ध पेयजल के लिए कोई इंतजाम नहीं है. पीने के पानी की व्यवस्था आदि नहीं होने से मंडी परिसर में आने वाले सैंकड़ो किसानों को प्रतिदिन दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. 


कृषि उपज मंडी परिसर में अनाज भण्डारण हेतु कोई समुचित व्यवस्था नहीं है, जिसके चलते मंडी परिसर के व्यापारिओं को बारिश के समय अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है. मंडी परिसर में बने एक मात्र यार्ड में सरकारी खरीद होने से अन्य व्यपारियों को अपने अनाज रखने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा. स्थानीय किसानों ने बताया कि पिछले कई वर्षों से मंडी परिसर में अनाज लेकर आते है, लेकिन सुविधाओं के नाम पर कुछ भी नहीं बदला है.


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मूंग की होती है बम्पर आवक
जायल तहसील की भूमि उर्वरक और उपजाऊ क्षमता अधिक होने से या मूंग की फसल की अच्छी पैदावार होती है. जिले के मेडता के साथ जायल क्षेत्र के मूंगों की चमक भी खास होती है. खेतों की काली मिट्टी के चलते या बिना रासायनिक खादों के अच्छी फसल तैयार की जाती है, जिसके चलते देशभर में यहां उपजे मूंगों की डिमांड बढ़ जाती है. मूंग की फसल का बम्पर उत्पादन होने के बावजूद क्षेत्र के किसानों को मंडी में सुविधाओं का नहीं होने से फसलों को उचित मूल्य नहीं मिलने से मजबूरन किसानों को आस-पास की दूर-दराज मंड़ियों में जाकर अपनी फसलों का बेचान करना पड़ रहा है.


Reporter: Damodar Inaniya


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