नागौर: देशभर में 24वें विजय दिवस की धूम, कारगिल युद्ध में डीडवाना क्षेत्र से 5 जवानों ने दी थी शहादत
वर्ष 1999 में हुए कारगिल युद्ध में सेना ने करीब 600 जवानों की शहादत के बाद कारगिल क्षेत्र से घुसपैठियों को खदेड़ दिया था. कारगिल युद्ध में नागौर जिले से भी 7 जवानों ने देश के लिए अपनी शहादत दी थी.
Deedwana, Nagaur: वर्ष 1999 में हुए कारगिल युद्ध में सेना ने करीब 600 जवानों की शहादत के बाद कारगिल क्षेत्र से घुसपैठियों को खदेड़ दिया था. कारगिल युद्ध में नागौर जिले से भी 7 जवानों ने देश के लिए अपनी शहादत दी थी. कारगिल का ऑपरेशन विजय खत्म होने के बाद सेना ने कश्मीर में छिपे बैठे आतंकियों को खत्म करने के लिये ऑपरेशन रक्षक लॉन्च किया.
सेना के जवानों ने दिखाया साहस
जिसमें भी सेना के जवानों ने अपना अदम्य साहस दिखाया और सैंकड़ों आतंकियों को खत्म कर देश की हिफाजत की. इसी विजय की याद में डीडवाना के जिला सैनिक कल्याण कार्यालय में कारगिल विजय दिवस मनाया गया.
जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित
इस अवसर पर करगिल युद्ध में शहीद होने वाले सेना के जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई. साथ ही 1971 के युद्ध में पाकिस्तान के छक्के छुड़ाने वाले भारतीय सेना के टैंक टी 55 के समक्ष भारत माता के जयकारे भी लगाए गए.
शहीदों की वीरांगनाओं का सम्मान
इस अवसर पर डीडवाना विधायक चेतन डूडी ने कहा कि कारगिल सहित विभिन्न युद्ध में भाग लेने वाले पूर्व सैनिकों और शहीदों की वीरांगनाओं का सम्मान किया. साथ ही कहा कि विजय दिवस पर हम उन शहीदों को नमन कर रहे है, जिन्होने मां भारती के लिए अपनी जान की कुर्बानी दी है. उन्होंने कहा कि देश के लिए जीते सभी है, लेकिन एक सैनिक का जीवन अनेक दुश्वारियों से गुजर के भी राष्ट्र के प्रति समर्पित रहता है. यही बड़ी वजह है कि सैनिकों के सम्मान में हम सब हमेशा आदर भाव से खड़े रहते है.
वर्ष 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान प्रदेश के अनेक शूरवीरों ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए दुश्मन पर विजय प्राप्त करने के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया. अनेकों ने वीरता का प्रदर्शन करते हुवे इस युद्ध मे अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. जिसमें डीडवाना जिला सैनिक कल्याण बोर्ड के अधीन 8 तहसील के 132 सैनिकों की शहादत हो चुकी है. वहीं कारगिल युद्ध के शहीदों में 5 सैनिकों ने शहादत दी. जिसमें दो वीर चक्र भंवर लाल थेबड़ी , मंगेज सिंह हरनावा हवलदार कान सिंह ध्यावा , नायक सुरेंद्र सिंह हुडील सिपाही मूलाराम कठोती की मूर्ती आज डीडवाना शहीद स्मारक शान है.
युद्ध हमारी प्राथमिकता में नहीं
जबकि जिला सैनिक कल्याण अधिकारी कर्नल राजेन्द्र सिंह ने कहा कि 26 जुलाई 1999 के दिन हमारी सेना के जाबाजों ने विश्व की छाती पर एक ऐसा हस्ताक्षर कर दिया कि आने वाली नस्ले भारतीय जाबाजों के हौसलों की कहानियां अपने बच्चों को सुनाया करेगी. उन्होंने कहा कि युद्ध हमारी प्राथमिकता में कभी नहीं रहा. परन्तु युद्ध से मुंह मोड़ लेना भी हमारी फितरत में नहीं है. यह हमने 55 दिनों के अथक संघर्ष के बाद पाकिस्तानी सेना ओर घुसपैठियों को एक बार फिर अहसास करवा दिया कि वो हमसे कभी भी नहीं जीत सकते. इस मौके पर अनेकों पूर्व सैनिक मौजूद रहे.
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