Nagaur: नागौर में 45 दिनों से हड़ताल पर चल रहे वकीलों को अखिल राजस्थान प्रबोधक संघ ने दिया समर्थन, जानिए मामला
Nagaur: नागौर में 45 दिनों से हड़ताल पर चल वकीलों का गुरुवार को अखिल राजस्थान प्रबोधक संघ ने मांग को सही ठहराते हुए समर्थन दिया. अखिल राजस्थान प्रबंधक संघ ब्लॉक अध्यक्ष नरेंद्र सियाग ने कहा की हड़ताल के दौरान बड़ी संख्या में न्यायिक कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं.
Nagaur: नागौर जिले के खींवसर उपखंड मुख्यालय पर सिविल न्यायालय खोलने की मांग को लेकर अधिवक्ता संघ पिछले 45 दिनों से हड़ताल पर चल रहे हैं. गुरुवार को अखिल राजस्थान प्रबोधक संघ ने वकीलों की मांग को सही ठहराते हुए समर्थन दिया. अखिल राजस्थान प्रबंधक संघ ब्लॉक अध्यक्ष नरेंद्र सियाग ने कहा की हड़ताल के दौरान बड़ी संख्या में न्यायिक कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं. पिछले 45 दिनों में कई बड़े संगठन भी वकीलों की इस मांग को सही ठहराते हुए उनका समर्थन कर रहे हैं.
अन्य संगठनों का भी मानना है कि खींवसर उपखंड क्षेत्र का केंद्र बिंदु है. इसलिए यहां पर सिविल न्यायालय होना अति आवश्यक है, इसके साथ ही थाना क्षेत्र की दृष्टि से देखा जाए तो भी खींवसर उपखंड क्षेत्र का केंद्र बिंदु है.
उपखंड क्षेत्र के लोगों को अपने गांव से 100 किलोमीटर चलकर नागौर मुख्यालय पर न्यायिक कार्यों के लिए जाना पड़ता है, जिसके लिए उचित संसाधनों के अभाव में लोगों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
अधिवक्ता संघ अध्यक्ष मूल सिंह राठौड़ ने बताया कि अगर सरकार समय रहते उनकी मांग पर सुनवाई नहीं करती है तो इसका खामियाजा सरकार को भुगतना पड़ेगा और आगामी दिनों में आंदोलन और तेज किया जाएगा. राठौड़ ने बताया कि पहले भी अधिवक्ताओं ने 180 दिन आंदोलन किया था सरकार के आश्वासन देने के बाद अभी तक कोई भी सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आया है इस बार आंदोलन को सभी वर्ग के लोगों और संगठनों का पूरा समर्थन मिल रहा है और जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं की जाएगी तब तक आंदोलन जारी रहेगा.
अखिल भारतीय प्रबोधक ब्लॉक उपाध्यक्ष महिपाल विश्नोई, मोहनराम जांदू, रावतराम, गणपतराम, शिवकरण, महिपाल बिश्नोई, भगवानाराम, सांवरमल, केशुराम, हनुमान सिंह, दयालराम, एडवोकेट चन्दाराम जाखड, शिवराज भाटी, हड़मान सिंह, दीपसिंह रूपावत, मोडाराम डूडी, रामसिंह, देवीसिंह, गोविंद सिंह, संजय कुमार, किसन देवड़ा, बाबूलाल भादू, अर्जुन राम, लालसिंह राठौड, बाबूलाल खोजा, अविनाश सुथार, नरेंद्र सिंह, सुखराम देवड़ा 45 वे दिन भी धरने में मोजूद रहे.