Pali news: पाली जिला मुख्यालय पर बांगड़ अस्पताल को मेडिकल कॉलेज की सौगात मिलने के बाद अब बड़ी से बड़ी बीमारी का इलाज यहां संभव होना शुरू हो गया. जिसके चलते पाली में प्रथम बार 10 साल के मासूम बालक की सर्जरी कर उसे फिर से बोलने के काबिल बनाया गया .


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ईएनटी विभाग के वरिष्ठ डॉक्टर डॉक्टर गौरव कटारियन जानकारी देते हुए बताएं कि सादड़ी निवासी कैलाश पुत्र सवाराम जाती देवासी जिसका जन्म जात तालु होने की वजह से उसे बोलने में पास काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था. 


यहां तक की खाना खाने के बाद भी खाना या कोई लिक्विड उसके नाक तक पहुंच जाता था. इस परेशानी को देखते हुए पाली बांगड़ अस्पताल में इसकी जांच करवाई गई.


इसके बाद इलाज करवाना संभव हुआ पाली में तालु के इलाज के लिए सुपरीटेंडेंट पीसी व्यास से इलाज करने की परमिशन ली इसके बाद जोधपुर के महात्मा गांधी अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर डॉक्टर प्रभु दयाल सेवर एवं उनकी टीम के साथ मासूम बालक कैलाश का सफल ऑपरेशन किया गया.


डॉक्टर कटारिया ने जानकारी देते हुए बताया कि पाली जिला मुख्यालय पर प्रथम बार तालु का ऑपरेशन कर सर्जरी की गई है .


वहीं शिशु रोग विशेषज्ञ आर बिश्नोई ने जानकारी देते हुए बताया कि अधिकांश बच्चों के जन्म-जात या अनुवांशिक होने की वजह से चालू नहीं होना या होंठ कटे होना की बीमारी सामने आती है. जिसका सफल इलाज भी अब अस्पताल में होना शुरू हो गया है .


पाली में यह सफल ऑपरेशन प्रथम बार किया गया इस दौरान सुपरीटेंडेंट डॉक्टर पीसी व्यास ने जानकारी देते हुए बताया कि बांगड़ अस्पताल को मेडिकल की सौगात मिलने के बाद अब यहां पर हर एक बीमारी का इलाज किया जा रहा है. जिसकी वजह से ग्रामीण क्षेत्र से आए मरीजों को फायदा मिल रहा है .


इस तरह की बीमारियां पिछले लंबे समय से चली आ रही है अनुवांशिक होने की वजह से कई बार लोगों को मेंजागरूकता नहीं होती है. जिसकी वजह से ऑपरेशन नहीं करवाते हैं और बड़े होने पर यह समस्या बढ़ जाती है .


यदि 1 से 2 वर्ष की उम्र में इसका इलाज करवा दिया जाता है तो भविष्य में उसे बच्चों को किसी तरह की बोलने खानेऔर पीने में कोई समस्या नहीं होगी उम्र बढ़ने के साथ ही इस बीमारी का इलाज करवाया जाता है तो बोलने में हल्की समस्या होगी लेकिन खाना खाने में और पीने में जो समस्या बचपन से आ रही है वह नहीं होगी .


इस बीमारी का इलाज के लिए पाली एनसथीनिया टीम ने भी अपना अच्छा प्रेजेंट देकर इस बीमारी का इलाज करने में सहयोग किया है .


व्यास ने बताया कि मरीज के पड़ोस में रहने वाले एक व्यक्ति के नाक में तकलीफ होने पर पाली अस्पताल में जांच करवाने साथ में आया था तब डॉक्टर गौरव कटारिया ने उसका इलाज करने के लिए जागरूक किया . इसके बाद पाली में प्रथम बार इस तरह का ऑपरेशन कर सर्जरी की गई. उन्होंने बताया कि अब इस बालक की मॉनिटरिंग की जाएगी जिसे ऑपरेशन के बाद सिर्फ लिक्विड पर रखा जाता है ताकि की गई सर्जरी सफल हो सके .  


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