Alwar news: सरिस्का बाघ परियोजना में टाइगर पैंथर भालूओ का ही नहीं बल्कि ढाई सौ तरह के पक्षीयो का निवास स्थान बना हुआ है. यह पक्षी सांपों का शिकार करते हैं कभी-कभी छोटे बंदरों (बच्चों) का शिकार कर लेते हैं.
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Alwar news: सरिस्का बाघ परियोजना में टाइगर पैंथर भालूओ का ही नहीं बल्कि ढाई सौ तरह के पक्षीयो का निवास स्थान बना हुआ है.सरिस्का में इन पक्षियों की चहल पहल और उनकी चहचाहट पर्यटकों को भी आकर्षित करती है.
पक्षी प्रेमी निशांत सिसोदिया ने बताया सरिस्का में सभी जगह पर पक्षी मिल जाते हैं. लेकिन गिद्ध प्रजाति विलुप्त प्राय होने के कारण कम मात्रा में है. यह पक्षी पर्यावरण को संतुलन बनाए रखने और जैव विविधता बनाए रखने में इनका अहम रोल होता है. देखा जाए तो सरिस्का में काफी दुर्लभ पक्षी भी पाए जाते हैं. जिनमे पेडेड इसपर फाउल , किस्टेड सरपेट, ईगल दुर्लभ पक्षी मिलते हैं. जो सरिस्का के गिने चुने गहरे नालों में वह हरे वृक्षो में पाए जाते हैं. यह पक्षी सांपों का शिकार करते हैं कभी-कभी छोटे बंदरों (बच्चों) का शिकार कर लेते हैं.
पांडुपोल क्षेत्र में ब्राउन फिश आउल जो साइज में बड़ा होता है. लगभग 2 फीट का बड़ी दुर्लभ जीव माना जाता है.
पानी के पास झीलों के समीप मिलते हैं
सरिस्का लगभग ढाई सौ प्रजाति पक्षियों का घर है. सर्दियों में जो बड़े जल क्षेत्र में जलचर पक्षी विदेश से आते हैं. जो जल पर ही निर्भर है. जिसमें 65 से 70 तरह पक्षी सरिस्का में हर बार सर्दी में आते हैं.
लेकिन ग्लोबल वार्मिंग के चलते इन पर असर पड़ रहा है .जलवायु व अतिक्रमण के चलते मानव निर्मीत झिलों के किनारे अपना घोंसला बनाकर रहते थे .जिन्हें वेटलैंडस झील में दलदल क्षेत्र होता है. उसमें घोसला बनाकर यहां रहते थे. लेकिन बदलते इस युग में झील के किनारो पर अब अवैध निर्माण अतिक्रमण के चलते यह भी एक समस्या है.
बदलती जलवायु परिवर्तन के कारण बरसात समय पर नहीं आती है और कम बरसात की वजह से झिलों में पानी कम होने की वजह से सरिस्का में आने वाले पहले बड़ी मात्रा में पक्षी आते थे . लेकिन अब उदयपुर और अन्य जगहों पर चल जाते हैं. वहां झीलों में पानी की पूरी मात्रा मिलती है. वहां पर जा रहे हैं .सरिस्का में छोटे प्रवासी पक्षियों में 100 प्रकार की प्रजाति पक्षी मिल जाते हैं जहां एंटल वाइस चिड़िया सबसे छोटा पक्षी है.
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