Kotputali Vidhansabha Seat: 2018 विधानसभा चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी रहे मुकेश गोयल को टिकट न मिलने के कारण एक शरणम गार्डन में कार्यकर्ताओं की मीटिंग बुलाई गई. जिसमें टिकट के प्रबल दावेदार मुकेश गोयल कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए भावुक हो गए और उन्होंने कहा कि पार्टी को मैंने मेरी मां की तरह माना लेकिन सही प्रत्याशी चयन ने होने के कारण आज मैं अंदर से टूट चुका हूं. इस दौरान कार्यकर्ताओं मुकेश गोयल के समर्थन में जमकर के नारेबाजी की और कहा मुकेश गोयल तुम संघर्ष करो हम तुम्हारे साथ हैं.  मुकेश गोयल बागी प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ सकते हैं, क्योंकि गोयल पिछले 5 साल लगातार जनता के बीच सक्रिय रहे लेकिन जब रातों-रात टिकट बीजेपी के बागी को मिल जाए तो कार्यकर्ताओं का गुस्सा भी लाजमी रहा है.


निर्दलीय चुनाव लड़ने के संकेत


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भाजपा नेता और 2018 के प्रत्याशी मुकेश गोयल ने निर्दलीय ताल ठोकने की के संकेत दिए हैं. गोयल ने कहा कहा कि कार्यकर्ताओं को एकत्रित कर जनता के आदेश अनुसार आगे की रूपरेखा बनाएंगे. जिसको लेकर एक कमेटी बनाई जायेगी और गांव-गांव ढाणी जाकर लोगों से फीड बैक लेकर निर्णय लिया जायेगा. जैसा जनता जनार्दन कहेगी वैसा ही किया जायेगा. लेकिन कोटपूतली की जनता के साथ अब अन्याय नहीं किया जायेगा.


पहली सूची में जयपुर कोटपूतली से गुर्जर समाज से आने वाले हंसराज पटेल को उम्मीदवार बनाकर जातिगत समीकरण साधने की कोशिश की गई है. हालांकि उन्हें टिकट मिलते ही यहां के चुनावी समीकरण पूरी तरह से बदल गए हैं. उल्लेखनीय है कि इस बार के विधानसभा चुनावों में शुरू से ही भाजपा द्वारा जल्द टिकटों की घोषणा के समाचार सामने आ रहे थे. जिसके बाद से ही सभी टिकटार्थी निरंतर इस बाबत प्रयास भी कर रहे थे. सोमवार को जैसे ही टिकटों की घोषणा हुई पटेल समर्थकों में हर्ष की लहर दौड़ गई. पहली सूची इस बात की और इशारा है विगत चुनाव की तुलना में इस बार जातिगत समीकरण साधने की स्पष्ट कोशिश की गई है. जिसके चलते गुर्जर बाहुल्य क्षेत्र होने व कांग्रेस से यादव प्रत्याशी को टिकट मिलने के चलते यहां की टिकट गुर्जरों के खाते में गई है. अब जल्द ही कांग्रेस द्वारा भी पहली सूची जारी की जा सकती है. 15 अक्टुबर तक आने वाली पहली सूची में ही कोटपूतली से गृह राज्यमंत्री राजेन्द्र सिंह यादव को एक बार पुनः मैदान में उतार सकती है.


20 वर्षों बाद गुर्जर समाज में राष्ट्रीय पार्टी की टिकट


गुर्जर समाज में 20 वर्षों के अंतराल पर किसी राष्ट्रीय पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया है. इससे पहले वर्ष 2003 के चुनाव में कॉंग्रेस पार्टी ने हंसराज पटेल को उम्मीदवार बनाया था. तब उन्होंने 32901 मत प्राप्त किये थे, वर्ष 2008 के चुनावों में कांग्रेस की टिकट कटने पर हंसराज पटेल ने चुनाव नहीं लड़ा. हालांकि तब के प्रत्याशी राजेन्द्र सिंह यादव भी चुनाव हार गए थे लेकिन उसके बाद लगातार 2013 और 2018 में उन्होंने चुनाव जीता. वर्तमान की कांग्रेस सरकार में उच्च शिक्षा व गृह राज्यमंत्री हैं.


पटेल ने वर्ष 2013 के चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर 15878 मत प्राप्त करने के बाद वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा की सदस्यता गृहण की. वहीं वर्ष 2018 में भी टिकट के प्रबल दावेदार थे, हालांकि एन वक्त पर टिकट कटने के बाद निर्दलीय चुनाव लड़ते हुए 24960 मत प्राप्त किये. जिसके बाद पुनः 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी में वापसी भी की.


कांटे का मुकाबला होने की संभावना :


पटेल को टिकट मिलने के बाद यहाँ से भाजपा - कांग्रेस में कांटे का मुकाबला होने की सम्भवना है. हालांकि अभी यह भी देखना है कि निर्दलीय के तौर पर कौन कौन प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरेगा. वहीं हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी से उम्मीदवार व पूर्व संसदीय सचिव रामस्वरूप कसाना का निर्णय भी देखने योग्य होगा. निर्दलीय उम्मीदवारों की संख्या और मजबूती का आंकलन किए जाने के बाद ही मतदाता समीकरण पर कुछ कयास लगा सकेंगे. लेकिन लोगों का कहना है कि कांग्रेस से राजेन्द्र सिंह यादव के नाम का ऐलान हो जाता है तो इस बार दोनों प्रमुख दलों के प्रत्याशियों के बीच जोरदार मुकाबला होने की संभावना प्रबल हो जाएगी.


अन्य दावेदारों में छाई निराशा :


भाजपा टिकट के लिए कोटपूतली से दावेदारों की लंबी कतार थी. विशेषकर गुर्जर समाज से अनेक प्रत्याशी दावेदारी कर रहे थे. वर्ष 2018 के चुनाव के दौरान अंतिम समय में मुकेश गोयल और हंसराज पटेल के बीच कश्मकश होती रही. आखिरकार, भाजपा ने मुकेश गोयल को अपना प्रत्याशी घोषित किया था. घोषणा के बाद पटेल के समर्थकों में मायूसी छा गई थी. जबकि इस बार गोयल के खेमे में निराशा का माहौल है. दावेदारों में कुछ प्रमुख चेहरे ऐसे हैं जो निर्दलीय के रुप में चुनाव मैदान में ताल ठोक सकते हैं. वही आज भाजपा के अधिकतर पदाधिकारीयों नें इस्तीफा देने का एलान भी कर दिया. अब देखना होगा पार्टी अब क्या निर्णय ले पाती है.


रिपोर्टर - AMIT YADAV


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