Rajendra Rathore : राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने वक्तव्य जारी कर कहा कि साढ़े 4 साल तक औसतन 55 पैसे प्रति यूनिट फ्यूल सरचार्ज विद्युत उपभोक्ताओं से वसूलने वाली कांग्रेस सरकार अब 200 यूनिट तक फ्यूल सरचार्ज माफ करने की नौटंकी कर रही है. जबकि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में फ्यूल सरचार्ज मात्र औसतन 18 पैसे प्रति यूनिट ही था. जब फ्यूल सरचार्ज की बढ़ोतरी के कारण उद्यमी हड़ताल पर है तो औद्योगिक इकाइयों का फ्यूल सरचार्ज माफ क्यों नहीं कर रहे?


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राठौड़ ने कहा कि घोषणा दर घोषणा करने से पहले मुख्यमंत्री जी उपभोक्ताओं को दी गई सब्सिडी के विरुद्ध 15 हजार 180 करोड़ की बकाया राशि तो पहले विद्युत कंपनियों को चुकाएं. डिस्कॉम्स का घाटा करीब 1 लाख 20 हजार करोड़ का है और सब्सिडी के खर्चे के लिए विद्युत कंपनियों को प्रति वर्ष 60 हजार करोड़ का लोन बैंकों से लेना पड़ता है जिसका ब्याज भी सालाना लगभग 6500 करोड़ रुपये होता है. सरकार पहले इन्हें चुकाये और फिर जाकर घोषणाएं करे तो बेहतर होगा.


 



राठौड़ ने कहा कि घोषणावीर मुख्यमंत्री जी की गजब की टाइमिंग है. माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के ऊर्जावान संबोधन से आप इस कदर प्रभावित हो गये कि देर रात्रि में उन्हें राहत की घोषणा करने को मजबूर होना पड़ रहा है. साढ़े 4 सालों से जनता को लूटने के बाद अब चुनावी साल आते ही यकायक बिजली बिलों में फ्यूल सरचार्ज सहित अन्य शुल्क माफ करने की घोषणा से जनता झांसे में नहीं आयेगी. आपकी नीति और नीयत दोनों में खोट है.


राठौड़ ने कहा कि बिजली के बिल में कटौती का फायदा जनता को तब मिलेगा जब बिजली आयेगी. प्रदेश के शहरी और ग्रामीण इलाकों में कई घंटों तक अघोषित विद्युत कटौती का दंश विद्युत उपभोक्ता झेलने को मजबूर है. महंगी बिजली की खरीद, कोयला खरीद और किसानों के कनेक्शन में टर्नकी प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार को लेकर भी कुछ राहत की घोषणा करते तो बेहतर होता. साथ ही किसानों को दिन में दो ब्लॉक में बिजली आपूर्ति करने और नई कृषि विद्युत वितरण कंपनी बनाने की घोषणाएं कब पूरी होगी, इस पर भी कुछ कहते तो अच्छा होता.


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