Gajendra Shekhawat on Ashok Gehlot : सीएम गहलोत के स्पष्टीकरण पर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने पलटवार करते हुए कहा कि गहलोत जी "निजी राय" क्या होती है? न्यायपालिका पर गंभीर आरोप लगाने के बाद कह दिया यह आपकी निजी राय नहीं है, तो यह किसकी राय है? किसने आपको बताया कि वकील फैसला लिखकर ले जाते हैं, जज वही सुना देते हैं? पीआईएल दाखिल होने के बाद डर के मारे आज आप बयान से पलट रहे हैं.


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गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि सच यही है कि यह आपकी निजी राय है. आपने जनता और न्यायपालिका के बीच विश्वास के रिश्ते को तोड़ने का दांव खेला है. आप शातिर राजनीतिक खिलाड़ी हैं. जानबूझकर आपने एक विवाद पैदा करने की कोशिश की है, इसके पीछे कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति और जमानत पर चल रहे हुए 'आकाओं' का अपरोक्ष बचाव है.


गौरतलब है कि हाल ही में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने न्यायपालिका को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि ज्यूडिशियरी में भयंकर करप्शन हो गया है. मैंने सुना है कि कई वकील तो जजमेंट भी लिख कर ले जाते हैं और वही जजमेंट कोर्ट से आता है. ज्यूडिशियरी में यह क्या हो रहा है? चाहे लोअर हो या अपर ज्यूडिशियरी. हालत बड़ी गंभीर है, यह देशवासियों को सोचना चाहिए. अगर केंद्र सरकार गंभीरता से काम करना चाहती है. तो सोचना चाहिए.


कल मैंने ज्यूडिशियरी के करप्शन को लेकर जो कहा वो मेरी निजी राय नहीं हैं. मैंने हमेशा ज्यूडिशियरी का सम्मान एवं उस पर विश्वास किया है. समय-समय पर सुप्रीम कोर्ट के अनेकों रिटायर्ड न्यायाधीशों व रिटायर्ड मुख्य न्यायाधीशों तक ने ज्यूडिशियरी में भ्रष्टाचार पर टिप्पणयां की हैं एवं उस पर चिंता व्यक्त की है. मेरा न्यायपालिका पर इतना विश्वास है कि मुख्यमंत्री के रूप में जजों की नियुक्ति हेतु हाईकोर्ट कॉलेजियम के जो नाम हमारे पास टिप्पणी के लिए आते हैं, मैंने उन पर भी कभी कोई प्रतिकूल टिप्पणी नहीं की है. मेरा स्पष्ट मानना है कि हर नागरिक को न्यायपालिका का सम्मान करना चाहिए और ज्यूडिशियरी पर विश्वास करना चाहिए. इससे लोकतंत्र मजबूत होगा.


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