क्या मेवाड़ के रास्ते फिर सत्ता में वापसी कर पाएगी भाजपा! चुनाव से पहले CP का महामंथन
Rajasthan Politics : बीजेपी का मेवाड़ पर मंथन, उदयपुर संभाग के पदाधिकारियों की बैठक, चुनावी समीकरण पर चर्चा होगी. कहा जाता है कि राजस्थानी की राजनीति किसी भी पार्टी को सत्ता तक पहुंचना है तो उसके लिए पहले मेवाड़ को जीतना होता है , हालांकि 2018 में चुनाव में ये मिथक टूट गया है.
Rajasthan Politics : विधानसभा चुनाव नजदीक आने से साथ ही प्रदेश बीजेपी की सक्रियता बढ़ गई है. बीजेपी जनाक्रोश घेराव के साथ संभागीय बैठकों में जुट गई है. इसी कड़ी में आज प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी और संगठन महामंत्री चंद्रशेखर उदयपुर में संभागीय पदाधिकारियों की बैठक लेंगे. दोनों नेता चुनावी समीकरणों पर चर्चा कर मेवाड़ की की नब्ज टटोलने का प्रयाास करेंगे. वहीं बैठक से पहले राजसमंद जिला कलेक्ट्रेट का घेराव भी किया जाएगा. बीजेपी के लिए मेवाड़ इसलिए भी खाास है कि यहां 6 जिलों में 28 विधानसभा सीटें है, इनमें से 15 सीटों पर बीजेपी काबिज है. इन 15 सीटों को कैसे बढ़ाया जाए, इस पर भी बीजेपी की नजर है.
बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी अभी संभागीय स्तर पर संगठनात्मक बैठकें ले रहे हैं. जयपुर के बाद जोशी आज उदयपुर संभाग की बैठक लेंगे. इन बैठकों कों यूं तो परिचयात्मक बैठकें कहा जा रहा है, लेकिन सबको पता है कि चुनाव नजदीक है, ऐसे में बीजेपी अध्यक्ष और संगठन महामंत्री पदाधिकारियों के साथ कार्यकर्ताओं से चर्चा कर क्षेत्र की नब्ज टटोल रहे हैं. जयपुर हो या उदयपुर बैठकों में संभाग के प्रदेश पदाधिकारी, ज़िला अध्यक्ष और प्रभारी, सांसद, पूर्व सांसद, विधायक और पूर्व विधायक, मोर्चा के अध्यक्ष, प्रकोष्ठ और विभाग के संयोजक - सह-संयोजक बैठक में शामिल हो रहे हैं. इनमें संगठन को मजबूत करने के साथ ही आगामी कार्यक्रमों, चुनावी मुद्दों तथा सरकार को घेरने वाले मसलों पर मंथन किया जा रहा है.
कानून व्यवस्था और अन्य मुद्दों पर सरकार का घेराव
संभागीय बैठक से पहले प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी के नेतृत्व में पेपर लीक , कानून व्यवस्था , रोजगार और महिला सुरक्षा जैसे मुद्दों के साथ जयपुर बम ब्लास्ट मामले में सरकार की कोर्ट में कमजोर पैरवी मामले को लेकर राजसमन्द में ज़िला कलेक्ट्रेट का जनआक्रोश महाघेराव किया जा रहा है. इसके साथ ज़िला कलेक्टर को ज्ञापन देंगे. बीजेपी इन जनआक्रोश महाघेराव के जरिए प्रदेश की गहलोत सरकार की नाकामियों को भी आमजन तक पहुंचाने का काम कर रही है.
इस विरोध प्रदर्शन के जरिये बीजेपी कन्हैया लाल हत्या के मामले पर सरकार पर निशाना साधकर लोगों की सहानुभूति बटोरने का प्रयास करेगी. अध्यक्ष सीपी जोशी पद संभालने के बाद जोशी कमोबेश अपने हर भाषण या बयान में कन्हैया लाल के बहाने गहलोत सरकार पर तुष्टीकरण की राजनीति का आरोप लगाते रहे हैं.
मेवाड़ के सियासी मिज़ाज
दरअसल कहा जाता है कि राजस्थानी की राजनीति किसी भी पार्टी को सत्ता तक पहुंचना है तो उसके लिए पहले मेवाड़ को जीतना होता है , हालांकि 2018 में चुनाव में ये मिथक टूट गया है. बीजेपे के पास मेवाड़ में ज्यादा सीटें होने के बाद भी सत्ता पर काबिज नहीं हो पाए थे , लेकिन फिर भी बीजेपी की कोशिश है कि उदयपुर संभाग को फोकस में रखा जाए. इसकी एक वजह यह भी है कि मेवाड़ के कद्दावर और बड़े जनाधार के नेता माने जाने वाले गुलाबचंद कटारिया को केन्द्रीय नेतृत्व ने असम का राज्यपाल बना दिया है , हालांकि मेवाड़ की इस कमी को पूरा करने और क्षेत्रीय संतुलन बनाते हुए सांसद सीपी जोशी को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया था.
इनको मिली मेवाड़ में जीत
मेवाड़ के आंकड़े बताते हैं कि 2008 में परिसीमन के बाद उदयपुर संभाग की विधानसभा सीटें 30 से घटकर 28 रह गईं. परिसीमन से पहले 1998 में कुल सीटें 30 थीं, तब कांग्रेस को 23, भाजपा को 4 और अन्य के खाते में 3 गईं. तब कांग्रेस की सरकार बनी और अशोक गहलोत पहली बार मुख्यमंत्री बने. इसके बाद 2003 में 30 विधानसभा सीटों में कांग्रेस को 7, भाजपा को 21 और अन्य को दो मिलीं. तब प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनी और वसुंधरा राजे पहली बार मुख्यमंत्री बनी. फिर 2008 हुए परिसीमन में इन सीटों की संख्या 30 से घट कर 28 पर आ गईं.
इस दौरान हुए चुनाव में इनमें कांग्रेस को 20, भाजपा को 6 और अन्य को 2 सीटें हासिल हुईं और प्रदेश में एक बार फिर अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी. साल 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में फिर सियासी बाजी बदली और कांग्रेस को 2, भाजपा को 25 और अन्य के खाते में 1 गई. जब वसुंधरा राजे के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार बनी. पिछले विधानसभा यानी 2018 में हुए चुनाव में थोड़ा समीकरण बदला इस बार सीटें तो बीजेपी के खाते में ज्यादा आई लेकिन सरकार कांग्रेस की बनी. 2018 के विधानसभा चुनाव परिणाम में कांग्रेस को 10, बीजेपी को 15 और 3 अन्य के खाते में गई.
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