Rajasthan News: लोक संस्कृति और श्रद्धा के ऐतिहासिक पर्व गणगौर के उपलक्ष्य में राजसमंद शहर में परंपरागत गणगौर महोत्सव के तहत चूंदड़ी गणगौर की सवारी पूरे ठाठ-बाट और लाव-लश्कर के साथ निकाली गई. सवारी प्रभु श्री द्वारकाधीश मंदिर से रवाना हुई, लेकिन सवारी के पूरे मार्ग में अपरान्ह से पूर्व ही लोग आकर सवारी देखने के लिए घरों, दुकानों की छतों और सड़क के दोनों ओर, जिसे जहां जगह मिली वो वहीं बैठ और खड़ा हो गया. सवारी मंदिर से रवाना होकर जैसे-जैसे आगे बढ़ती गई लोग जयकारे लगाते और फूलों की वर्षा से मां गणगौर और ईशरजी के साथ ही सवारी में शामिल लोगों को स्वागत कर रहे थे. 


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प्रभु श्री द्वारकाधीश मंदिर से आकर्षक वस्त्राभूषणों से शृंगारित गणगौर की प्रतिमाओं और सुखपाल में विराजित प्रभु श्री द्वारकाधीश की छवि के साथ पूरे ठाट के साथ सवारी रवाना हुई. इस दौरान वहां मौजूद श्रद्धालुओं ने प्रभु द्वारकाधीश के गगनभेदी जयकारे लगाए और महिलाओं ने घूमर भी ली. साथ ही वाद्य वादन तुरही, बांकिया व नगाड़े सहित बैंड-बाजों की पांच टोलियों के द्वारा लोकगीतों व भक्ति संगीत की मधुर स्वर लहरियों ने वातावरण को पूरी तरह से उत्सवमय बना दिया. सवारी के रवाना होकर पूरे मार्ग से होकर मेला स्थल बालकृष्ण स्टेडियम तक पहुंचने के दौरान शहर में चारो ओर चून्दड़ी गणगौर की ही आभा दिखाई दे रही थी. न सिर्फ महिलाएं, बल्कि पुरुष भी चूंदड़ी वेश में और साफा एवं इकलाई भी चूंदड़ी की ही पहने हुए दिखाई दे रहे थे. 


सवारी में सबसे आगे ढोल-नगाड़े, हाथी एवं 40 घोड़े और इसके पीछे ऊंट नगाड़े की गूंज सवारी देखने की प्रतीक्षा में मार्ग में खड़े लोगों को सवारी के जल्द ही पहुंचने की एक तरह से मुनादी कर रहे थे. सवारी में सैकड़ों की संख्या में नन्हीं बालिकाएं लहंगा-चूंदड़ी पहने अपने सिर पर जल कलश लिए आगे की ओर कदम बढ़ा रही थी. वहीं, कई बालिकाएं तो इस दौरान नृत्य करते हुए चल रही थी. सवारी में शिव-पार्वती व राधा कृष्ण सहित विभिन्न देवी-देवताओं की आकर्षक झांकियां लोगों को भक्तिमय वातावरण में डुबो रही थी. सवारी के बीच बग्घी व रथ पर लकड़ी से बनी चून्दड़ी के आकर्षक परिधानों व आभूषणों से सजी गणगौर प्रतिमाएं कुछ अलग ही छटा बिखेर रही थीं. इसके साथ ही परम्परानुसार सवारी में मंदिर से निशान लिए घुड़सवार, फौज पलटन थी जो रियासत काल की परम्परागत शाही गणगौर की सवारी की यादें ताजा कर रही थीं. आदिवासी भील समाज के लोग भाले जमीन पर पटकते हुए आगे बढ़ रहे थे, जिनकी विशेष आवाज लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रही थी. वहीं, कलाकार कच्छी घोड़ी नृत्य पेश करते हुए लोगों को आकर्षित कर रहे थे. 


इसके साथ ही सवारी में पहले दिन के आकर्षण के रूप में दिल्ली की मनोज एंड रिया पार्टी की ओर से कई आकर्षक झांकियां विशेष रूप से श्रद्धालुओं को अपलक निहारने को मजबूर कर रही थीं. ऐसे में मार्ग में कई युवा तो इस ग्रुप के कलाकारों के साथ विशेष भाव-भंगिमाओं में सेल्फी लेने से का मोह नहीं छोड़ पाए. वहीं, गणेश वंदना ग्रुप की ओर से गणेशजी की वंदना के साथ किए जा रहे आकर्षक डांस ने सवारी जहां भी पहुंचती वहां के माहौल को गणेश भक्तिमय बना दिया. सवारी में प्रभु श्री राम दरबार की झांकी ने भी लोगों को भाव-विभोर कर दिया, जिस पर लोगों ने जमकर पुष्प वर्षा करते हुए अपनी श्रद्धा का इजहार भी किया. वहीं, बालाजी डांस और राधा-कृष्ण की प्रस्तुतियां भी देखने लायक रहीं, जबकि मोर महारास के कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों से लोगों का भरपूर मनोरंजन किया, तो सुदामा मिलन की झांकी को देखकर लोग भाव-विभोर हुए बिना नहीं रह पाए. सवारी में सुखपाल में विराजित प्रभु द्वारकाधीश की छवि को पूरे सम्मान और श्रद्धा से कंधों पर लेकर चंवर डुलाते श्रद्धालु साथ चल रहे थे. 


वहीं, शहर के एवं आसपास के क्षेत्रों के युवा श्रद्धालु व हर आयु वर्ग के लोग आज चूंदड़ की मेवाड़ी पाग व अंगरखी पहने गले में चूंदड़ की ही इकलाई डाले हुए गिरिराज धरण की जय, जय बोल श्री राधे...,पूछड़ी के लौटा की हूक बोल मेरे प्यारे...सहित कई जयघोष से वातावरण को धर्ममय बनाते हुए चल रहे थे. वहीं, मारवाड़ के प्रसिद्ध ढोल का वादन हर किसी को मोहित कर रहा था. वहीं, जोकर डांस करते हुए और लोगों को गुदगुदाते हुए चल रहे थे. सवारी में शामिल शिव बारात में भूत-प्रेत, पिशाच, गण आदि अपनी अलग ही छाप छोड़ रहे थे. वहीं, सहरिया कलाकारों का लोक नृत्य भी सभी को आकर्षित कर रहा था. इसमें मुख्य रूप से इन कलाकारों की भाव-भंगिमाएं देख लोग इनके कायल हो रहे थे. सवारी प्रभु श्री द्वारकाधीश मंदिर से रवाना होकर तय मार्ग रेती मोहल्ला, बड़ा दरवाजा, सुखपाल छतरी, नया बाजार, पुराना बस स्टैंड, चौपाटी एवं जेके मोड़ से होते हुए रंग बिरंगी आकर्षक रोशनी से लकदक मेला प्रांगण बालकृष्ण स्टेडियम पहुंची. स्टेडियम में पहुंचने के बाद श्रद्धालु महिलाओं ने गणगौर की प्रतिमाओं को वहां विराजित कर उनकी पूजा कर झाले दिए तथा पारंपरिक लोक गीत भंवर म्हाने पूजण दो गणगौर एवं म्हारी घूमर छै नखराली... गीतों पर काफी देर तक खूब झूम-झूमकर घूमर नृत्य का आनंद लिया. मंच पर विराजित प्रभु द्वारकाधीश की पूजा अर्चना की गई. 


रिपोर्टर- देवेंद्र शर्मा


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