Bamanwas: बौंली थाना अंतर्गत हथडोली ग्राम पंचायत के जटावती गांव के रेगर मोहल्ले से 8 साल पहले गुमशुदा हुई. महिला और बच्चों के मिलने पर पति और परिवारजनों की आंखों में खुशी के आंसू छलक पड़े. दरअसल महिला सीता देवी मूक बधिर है और 1 जुलाई 2014 को अपने गांव जटावती से अपने दो बच्चों को लेकर पीहर बेरखण्डी के लिए रवाना हुई थी, जब सीता देवी ससुराल से पीहर नहीं पहुंची तो पति रामफूल रेगर ने अपनी पत्नी की तलाश शुरू की.


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तलाश के बावजूद जब वह नहीं मिली तो पीड़ित रामफूल ने बौंली थाना पर गुमशुदगी की रिपोर्ट दी. दरअसल विवाहिता गलती से बेरखंडी की जगह पाली पहुंच गई थी, जहां रेलवे स्टेशन पर रेलवे पुलिस ने जब महिला और उसके दोनों बच्चों को लावारिस घूमते हुए देखा तो पूछताछ की, महिला गूंगी बहरी होने के कारण संतोषजनक जवाब न दे सकी. ऐसे में रेलवे पुलिस ने विवाहिता सीता देवी को नारी निकेतन और दोनों बच्चों को बाल कल्याण समिति जोधपुर के सुपुर्द कर दिया, तब से सीतादेवी नारी निकेतन में रहने लगी.


साथ ही वहीं दोनों बच्चों ने बाल कल्याण समिति के निर्देशन में पढ़ाई शुरू की. मामले का खुलासा उस वक्त हुआ जब सीता देवी का आधार कार्ड अपडेट करवाने की प्रक्रिया शुरू की गई. आधार कार्ड में डुप्लीकेसी की भनक लगने के बाद नारी निकेतन अधीक्षक रेखा शेखावत अलर्ट हुईं. 


फिंगर प्रिंट की जांच में खुलासा हुआ कि सीता का वास्तविक निवास जिला सवाई माधोपुर है।ऐसे में गहन तहकीकात करने के बाद नारी निकेतन अधीक्षक द्वारा सवाई माधोपुर जिला प्रशासन को मामले की सूचना दी गई. उक्त सूचना जब बौंली थाना पर पहुंची तो पाया गया कि गुमशुदगी को लेकर 2014 में मामला दर्ज हुआ था, जिसके बाद एसएचओ कुसुम लता मीणा ने मामले में संज्ञान लेते हुए हेड कॉन्स्टेबल पुरुषोत्तम कुमावत को जोधपुर भेजा. 


परिवारजनों के साथ जोधपुर पहुंचकर पुलिस टीम ने सीता देवी की पहचान की पुष्टि की. जब रामफूल अपनी खोई हुई पत्नी और दोनों बच्चों से मिला तो चारों की आंखों में खुशी के आंसू छलक उठे. वहीं नारी निकेतन स्टाफ भी अपनी मेहनत का सकारात्मक परिणाम पाकर खुश नजर आया।नारी निकेतन द्वारा विवाहिता को ससुराल जाने के विदाई गीत गाकर विदा किया गया. घर वापसी पर 8 साल से अपने घर की बहू और दो बच्चों की राह तक रहे परिवार की खुशी देखते ही बनती थी.


Reporter: Arvind Singh