Rajasthan News: शुक्रवार, 21 जून को विश्व अपने-अपने ढंग से अपने-अपने गांव व शहरों में योग दिवस मनाएगा. तय प्रोटोकॉल से योगासन भी होगा और बाकी एक वर्ष तक हम योग के इन्हीं आसनों को नियमित रूप से करने की शपथ भी लेंगे, लेकिन कुछ दिन बाद सब भूलकर अपने ढर्रे पर लौट जाएंगे. वहीं, राजस्थान में एक ऐसी जगह है, जहां के छात्र रोजाना जटिल से जटिल आसनों को भी आसानी से कर लेते हैं. 


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माउंट आबू के घने जंगल में बना गुरुकुल 
हम बात कर रहे हैं राजस्थान के कश्मीर माने जाने वाले प्रदेश के एकमात्र हिल स्टेशन माउंट आबू की, जहां पर घने जंगल में बने हुए आर्ष गुरूकुल में आज भी छात्रों का समूह नियमित रूप में ऐसे ऐसे जटिलतम आसनों का अभ्यास करता है, जिन्हें आप समतल जमीन पर भी करने की छोड़ो, प्रयास करने पर भी नहीं कर पाओ. यहां तो समुद्र तल से 1778 मीटर के हाई एल्टीट्यूड में घने जंगल के मध्य ब्रह्म मुहूर्त यानी सूर्योदय से पूर्व में उठ करके यहीं ब्रहमचारी छात्र इन आसनों को रोजाना नियमित रूप से करने का अभ्यास करते है. 



छात्रों ने किए कई योगासन 
माउंट आबू के इसी आर्ष गुरुकुल में इस बार छात्रों ने विश्व योग दिवस पर विशेष करके YOGA स्तूप (योगा स्तूप) से लेकर के शीर्षासन, चक्रस्तूप, नटराजन आसन, हेलीकॉप्टर आसन, रेगिस्तान के जहाज माने जाने वाले ऊँट चाल, मयूर चाल, चक्रासन धनुर्धर आसन, कपोत (कबूतर) आसन, ओमकार आसन व बका यानी बगुला आसनों का अभ्यास समतल जमीन पर किया. वहीं, मल्लखम्भ पर सामान्य रूप से जमीन पर लगाने वाली ऊठक - बैठक, कैंची लगाकर के सलामी व साइड के एंगल से सलामी, एकपाद अंगुष्ठासन, बजरंगी आसन, चक्रासन, मण्डूक आसन, एकपाद स्कन्द आसन, वृक्षासन, अकर्ण, धनुरासन, स्तूप व कमल स्तूप त्रिभुज स्तूप व मल्लखम्भ पर ही भूमि आसन करते हुए अचरज भरे योगासनों का अभ्यास किया. 


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