Sikar news: वह कहते हैं न की अगर मन में कुछ करने का जुनून हो तो हर एक मुसीबतों को हराया जा सकता है. कई ऐसे लोग हैं जिनकी जीवन की कहानी बहोत बड़ी सिख दे देती है. ऐसा ही एक महिला क्रिकेटर की कहानी है. जिनकी  संघर्ष की कहानी एक बढ़ीयां सिख देती है. 


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क्रिकेट के लिए सपने को बदला 
राजस्थान के सीकर के धोद इलाके में रहने वाली हेमलता ढाका की संघर्ष की कहानी है. हेमलता ढाका ने पहले को अपना कॅरियर  बनाया. लेकिन महिला टीम की एक मैच देखते हुए अपने जीवन के सपने को बदल लिया. मैच देखते हुए ही हेमलता ढाका ने सोच लिया कि इनकी तरह तो मैं भी क्रिकेट खेल सकती हूं. 


आठ से दस घंटे किया अभ्यास 
जिसके बाद गांव के लड़कों की टीम में क्रिकेट खेलना शुरु कर दिया. समय के साथ वह क्रिकेट में ऊंचाई छूने के लिए आठ से दस घंटे अभ्यास करने लगी. लेकिन गांव के कुछ लोग  हेमलता ढाका ऐसा करता देख मजाक भी बनाते, लेकिन ढाका ने बिना परवाह किए अपने मिशन में जुटी रही. 


राजस्थान टीम में चयन के लिए मेहनत 
राजस्थान टीम में चयन के लिए कोचिंग की तलाश करने पर जबगांव में कोई कोचिंग नहीं मिली तो सोशल मीडिया के से बेटियों को निशुल्क कोचिंग  का पता कर चार साल तक अभ्यास किया. 


सालों के  मेहनत के बाद जगह बना
चार साल मेहनत के बाद हेमलता ढाका को पहली ही ट्रायल में सीकर जिले की महिला टीम में अपना जगह बना लिया. हेमलता ढाका ने बताया कि मां परमेश्वरी देवी ने हमेशा उनका हौसला बढ़ाया. जिसके चार साल की मेहनत की बदौलत पिछले दिनों राजस्थान सीनियर महिला टीम में भी जगह मिल गई . 
कोच ने बढ़ाया हौसला 
 ढाका ने बताया की उन्होंने  गेंदबाज के तौर पर क्रिकेट की शुरूआत की. लेकिन 2020 में जब  चोटिल हुई तो कोच ने बल्लेबाजी के लिए हौसला बढ़ाया. ढाका ने चैलेनजर के ग्रुप मैचों में 107 रनों की शानदार पारी खेली. जिसकी वजह से  ढाका को सीनियर महिला टीम में जगह मिली.


नियमित अभ्यास
ढाका ने बताया अपने सपने को पूरा करने के लिए नियमित तीन से चार घंटे अभ्यास करतीब हैं. ढाका का कहना है की कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती . 


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