सिरोही के हीरा व्यापारी की बेटी बनी सन्यासी, क्विज में जीता गोल्ड लेकिन त्यागा ऐशो-आराम
Sirohi News : सिरोही के हीरा व्यापरी की बेटी ने सूरत में सारे ऐशों आराम छोड़ कर सन्यासी महज 8 साल की उम्र में सन्यासी जीवन अपना लिया.
Sirohi News : सिरोही के हीरा व्यापरी की बेटी ने सूरत में सारे ऐशों आराम छोड़ कर सन्यासी महज 8 साल की उम्र में सन्यासी जीवन अपना लिया. मंगलवार को सूरत में हीरा व्यापारी धनेश सांघवी की बेटी देवांशी सन्यास ग्रहण कार्यक्रम को मनाने के लिए हाथियों, घोड़ों और ऊंटों के साथ एक भव्य जुलूस का आयोजन किया गया.
धनेश सांघवी 'संघवी एंड संस' कंपनी चलाते हैं. जिसका करोड़ों में कारोबार है और साथ ही यह सूरत की सबसे पुरानी हिरा बनाने वाली कंपनियों में से एक है. धनेश का पूरा परिवार एक सामान्य शैली का जीवन जीता है. धनेश सांघवी अपने पिता मोहन के इकलौते बेटे हैं और उनकी दो बेटियां देवांशी और पांच साल की काव्या हैं. धनेश, उनकी पत्नी अमी और दोनों बेटियां धार्मिक निर्देशों के अनुसार एक साधारण जीवन शैली का पालन करती हैं.
चेस में किया टॉप लेकिन कभी नहीं देखा टीवी
देवांशी क्विज में गोल्ड मेडल जीत चुकी है. साथ ही संगीत के सभी राग में गाना, भरतनाट्यम और योगा भी सीख चुकी हैं. देवांशी ने कभी टीवी नहीं देखा. वह हिंदी, अग्रेजी, संस्कृत, मारवाड़ी और गुजराती सहित कुछ अन्य भाषाएं भी जानती हैं. देवांशी ने अब तक 357 दीक्षा, 500 किलोमीटर पैदल विहार, तीर्थों की यात्रा और जैन धर्म ग्रंथों का वाचन कर चुकी हैं.
साढ़े सार साल की उम्र से ही देवांशी ने गुरु भगवंतों के साथ रहना शुरू कर दिया. वे हर महीने में दस दिन गुरु भगवंतों के साथ रहती थीं. इस दौरान 37 बड़ी दीक्षा, 13 बड़ी दीक्षा और 250 साधु-साध्वी भगवंतों का गुरु पूजन भी किया है.
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