Suratgarh: श्रीगंगानगर के सूरतगढ़ में बाबा रामदेव जी का एक तीन सौ साल पुराना मंदिर है. इस मंदिर को जाल वाले रामदेव जी का मंदिर भी कहा जाता है. इस मंदिर में एक जाल का पेड़ लगा हुआ है, जिसकी जड़े खोखली हो गयी है. लेकिन इस पेड़ में आज भी हरे पत्ते आते हैं, यहीं नहीं इन पत्तों को शरीर पर लगाने से दाद खाज और घाव दूर हो जाते हैं.


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मंदिर के पुजारी कालूराम ने बताया कि इस मंदिर में सेवा करने वाले कानादास जी के 16 वर्ष की उम्र में कोढ़ हो गया था, उनका कोढ़ इस जाल के पेड़ के नीचे दूर हुआ था. खुद बाबा रामदेव इस मंदिर में आये थे और इस मंदिर कि नीव रखी थी. तब से इस मंदिर की मान्यता और बढ़ गयी. उन्होंने बताया कि इस जाल के पेड़ पर दूर-दूर से आये श्रद्धालु धागा बांध कर अपनी मन्नते मांगते हैं और उनकी मन्नतें पूरी भी होती हैं. पिछले दिनों भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्ढा भी इस मंदिर में दर्शनों के लिए पहुंचे थे.


मंदिर में डाली बाई का मंदिर भी बना हुआ है. पुजारी कालूराम के अनुसार डाली बाई बाबा रामदेव की बहन है और पहले इनकी पूजा होती है और फिर बाबा रामदेव की. मंदिर के पुजारी के अनुसार मंदिर में श्रद्धालु अपनी शादी की मन्नतें पूरी करने आते हैं. स्थानीय निवासी मनोज ने बताया कि साल में दो बार इस मंदिर में मेला भरता है और इस मंदिर कि स्थापना सूरतगढ़ कि स्थापना के साथ ही हुई थी. जैसलमेर के रुणेचा के बाद यहां प्रदेश का सबसे बड़ा मेला भरता है. इस मेले में लाखो लोग श्रद्धा से अपना शीश झुकाते हैं और बाबा का आशीर्वाद पाते हैं. मंदिर कमिटी सदस्य ने बताया कि बड़ी संख्या में श्रद्धालु आने के कारण कमेटी पूरी व्यवथा करने कि कोशिश करती है ताकि श्रद्धालुओं को कोई दिक्कत नहीं हो.


Reporter- Kuldeep Goyal