पूरी दुनिया में बनावटी के लिए मशहूर है यह कुंड,सौंदर्यीकरण से और बढ़ेगी खूबसूरती
टोडारायसिंह उपखंड मुख्यालय के ऐतिहासिक हाड़ी रानी कुंड का इन दिनों पुरातत्व विभाग द्वारा सुरक्षा एवं सौंदर्यीकरण के मद्देनजर निर्माण कार्य करवाए जा रहे हैं. शहर के ऐतिहासिक वैभव का साक्षी हाडी राणी कुण्ड अपनी निर्माण कला के लिए प्रसिद्ध है. इस कुंड का निर्माण हाड़ी रानी की याद मे
Tonk: टोडारायसिंह उपखंड मुख्यालय के ऐतिहासिक हाड़ी रानी कुंड का इन दिनों पुरातत्व विभाग द्वारा सुरक्षा एवं सौंदर्यीकरण के मद्देनजर निर्माण कार्य करवाए जा रहे हैं. शहर के ऐतिहासिक वैभव का साक्षी हाडी राणी कुण्ड अपनी निर्माण कला के लिए प्रसिद्ध है.
इस कुंड का निर्माण हाड़ी रानी की याद में कराया गया था. करीब 2 बीघा क्षेत्रफल में शिलाखंडों से निर्मित कुंड अपने स्थापत्य कला को लेकर प्रसिद्ध है, जोकि आज भी यहां आने वाले पर्यटकों को अचंभित करता है. टोडारायसिंह के शासक राव रूपाल ने विक्रम संवत 1398 में बूंदी के मीणाओं को हराकर देवा हाडा की पुत्री से शादी की थी. शादी के बाद राव रूपाल उसी वर्ष रानी हाडी की याद में इस कुंड का निर्माण कराया था.
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2004 में कुंड पर किया गया फिल्मांकन
पुरातत्व विभाग के कुंड प्रभारी मुकेश कुमार ने बताया कि 3 दशक पुरातत्व विभाग के अधीन संरक्षण में आए इस ऐतिहासिक कुंड के चारों तरफ सर्वप्रथम पार्क का विकास किया गया. इसके बाद इसी वर्ष सुरक्षा के मद्देनजर कुंड पर रेलिंग लगाई गई, आधुनिक सुविधाओं से युक्त सुलभ कंपलेक्स बनवाया गया, यहां पार्क में सिंचाई के लिए बोरिंग खुदवाया तथा क्षतिग्रस्त सुरक्षा दीवार का निर्माण कराया गया, जबकि सौंदर्यीकरण के लिहाज से यहां मुख्य गेट से लेकर कुण्ड तक मय रेलिंग फुटपाथ तैयार किया गया.
फिल्मी दुनिया में पहली बार टोडारायसिंह की बावड़ियों की निर्माण कला से प्रभावित होकर कुंड पर वर्ष 2004 में फिल्म पहेली का फिल्मांकन किया गया. इसके बाद यहां एक प्रेमी युगल के पुनर्जन्म की कहानी पर आधारित टीवी धारावाहिक '' फिर कोई है '' का फिल्मांकन भी किया गया है . इससे टोडारायसिंह के इतिहास की नई पीढ़ी में एक पहचान कायम हुई है.
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Reporter- Purshottam Joshi