Udaipur: राजस्थान के उदयपुर (Udaipur News) जिले के वल्लभनगर विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए रणभेरी बज चुकी है. चुनावी मैदान में ताल ठोकने वाले दावेदार अपनी दावेदारी को ओर मजबूत करने में जुट गए है. तो वही राजनीतिक दल प्रत्याशी की चयन प्रक्रिया को अंतिम रूप दे रहे है. 


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हालांकि वल्लभनगर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस (Congress) पार्टी का दबदबा रहा है लेकिन वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य ने कांग्रेस पार्टी के सामने प्रत्याशी चयन के लिए कई चुनौतियों को खड़ा कर दिया है, जिसका मुख्य कारण वल्लभनगर की राजनीति का केंद्र रहे शक्तावत परिवार में टिकट को लेकर चल रहा गृह युद्ध है. तो वही मेवल क्षेत्र के लोग इस बार उनके इलाके से आने वाले नेता के लिए टिकट मांग रहे है. ऐसे में कांग्रेस पार्टी के सामने चुनावी जीत से बड़ी चुनौती प्रत्याशी के चयन की हो गई है क्योंकि पिछले तीन चुनावों की बात करे तो यहां कांग्रेस प्रत्याशी ने बहुत कम अंतर से जीत दर्ज की है. 


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उदयपुर की वल्लभनगर विधानसभा क्षेत्र में होने वाला हर चुनाव त्रिकोणीय मुकाबले का होता है. कांग्रेस के इस मजबूत गढ़ को पिछले दो दशकों से भाजपा नहीं बल्कि जनता सेना को कड़ी टक्कर दे रही है. यही कारण है कि यहां होने वाले चुनावों पर प्रदेशभर की नजर होती है लेकिन इस बार के उपचुनावों से पहले कांग्रेस में बने अजब राजनीतिक समीकरणों ने राजनीतिक पंडितों को भी सोचने पर मजबूर कर दिया हैं.


दरअसल पिछले कई दशकों से वल्लभनगर विधानसभा क्षेत्र में काग्रेंस का केंद्र बिंदु दिग्गज नेता स्वर्गीय गुलाबसिंह शक्तावत (Gulab Singh Shaktawat) और उनका परिवार रहा है लेकिन इस परिवार के छोटे सदस्य विधायक गजेन्द्रसिंह शक्तावत (Gajendra Singh Shaktawat) के निधन के बाद परिवार में टिकट को लेकर गृह युद्ध छिड़ा हुआ है, जिसने सत्ताधारी काग्रेंस पार्टी के नेताओं के माथे पर शिकन बढ़ा रखी हैं.


गजेन्द्रसिंह के निधन के बाद उनकी धर्मपत्नि प्रीती शक्तावत (Preeti shaktawat) के साथ गजेन्द्रसिंह शक्तावत के बडे़ भाई देवेन्द्रसिंह शक्तावत भी अपनी दावेदारी रख दी है. यही नहीं उन्होंने सार्वजनिक रूप से ऐलान कर दिया था कि यदि पार्टी ने प्रीती शक्तावत को उम्मीदवार बनाया तो वह निर्दलीय चुनाव लडेंगे. 


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देवेन्द्रसिंह शक्तावत (Devendra Singh Shaktawat) के इसी बयान के बाद इस सीट पर प्रत्याशी चयन के मायने ही बदल गए है. इसके साथ ही 18 पंचायतों में फैले 60 हजार मतदाओं वाले मेवल क्षेत्र से आने वाले पार्टी के एक अन्य दावेदार भीमसिंह चूंडावत की दावेदारी को भी मजबूती मिली है. अगर कांग्रेस पार्टी देवेंद्र सिंह की चेतावनी को दर किनार कर प्रीति शक्तावत को प्रत्याशी बनाती है तो पार्टी को बड़ा नुकसान हो सकता है. वहीं, पिछले तीन चुनावों की बात करें तो इस सीट पर काग्रेंस के हिस्से में आई जीत बेहद ही नजदीकी रही है.  


मुख्य बिंदु
वर्ष 2008  में काग्रेंस प्रत्याशी गजेन्द्रसिंह शक्तावत जीते लेकिन जीत का अंतर महज 6,660 वोट का था. 
वर्ष 2013 में निर्दलीय रणधीरसिंह भींडर चुनाव जीते.और जीत का अंतर 13,167 वोट का था. 
बर्ष 2018 में काग्रेंसी प्रत्याशी गजेन्द्रसिंह शक्तावत ने दूसरी बार जीत दर्ज की लेकिन इस बार जीत का अंतर घट कर महज 3,719 वोट ही रह गया. 


वल्लभनगर विधानसभा सीट के पिछले तीन चुनावो में असली मुकाबला काग्रेंस और निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में उतरने वाले जनता सेना प्रमुख रणधीरसिंह भींडर के बीच रहा है. वहीं, बात तो यह है कि इन तीनों ही चुनावों में काग्रेंस की जीत और हार का अंतर बेहद नजदीकी रहा हैं.


Reporter- Avinash Jagnawat