Dungarpur: राजस्थान के डूंगरपुर (Dungarpur News) जिले के मेडिकल कॉलेज के अधीन जिला अस्पताल में जरूरी दवाओं का टोटा हो गया है. जिला अस्पताल में दिखाने आने वाले मरीजों को बीपी-शुगर, उल्टी-दस्त, बुखार, एंटीबायोटिक दवाओं सहित अन्य जरूरी दवाईयां नहीं मिल रही है, जिसके चलते मरीज दवाओं के लिए भटक रहे है और निजी मेडिकल स्टोर से दवा खरीदकर अपनी जेब ढीली करनी पड़ रही है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

डूंगरपुर जिले में कोरोना (Corona) की तीसरी लहर की दस्तक हो चुकी है. पिछले तीन दिन में डूंगरपुर जिले में 28 कोरोना के सामने आ चुके है. वहीं बदलते मौसम के चलते जिला अस्पताल में सर्दी-जुकाम, खांसी, बुखार, उल्टी-दस्त, पेट दर्द के मरीज बढ़ गए हैं. इधर, बीपी और शुगर जैसी बीमारी से जुड़े मरीज भी अस्पताल आ रहे है. राज्य सरकार की ओर से निशुल्क दवा योजना में जिला हॉस्पिटल में 600 से ज्यादा दवाईयां रखी जा रही हैं लेकिन दवाईयों की कमी से मरीज भटक रहे हैं. जिला अस्पताल में जरूरी दवाओं की कमी के चलते मरीजों को दवाओं को लिए भटकना पड़ रहा है. 


यह भी पढ़ेंः Dungarpur: कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर स्वास्थ्य विभाग अलर्ट, मेडिकल कॉलेज में भर्ती मरीजों के लिए व्यवस्था शुरू


डॉक्टर को दिखाने के बाद लिखी दवाईयों को लेने मरीज और परिजन निशुल्क दवा काउंटर पर जा रहे हैं लेकिन उन्हें पूरी दवाईयां नहीं मिल रही है. पर्ची पर डॉक्टर की ओर से लिखी 5 दवाईयों में से मुश्किल से 2 से 3 दवाईयां ही मिल रही है. ऐसे में बची हुई दूसरी दवाईयां मरीज प्राइवेट मेडिकल स्टोर से खरीदने को मजबूर है, जंहा उन्हें दवाईयां खरीदने के लिए अपनी जेब ढीली करनी पड़ रही है. 


मरीजों ने कहा अस्पताल में नहीं मिल रही पूरी दवाईयां
डूंगरपुर जिला अस्पताल में दिखाने आए मरीजों ने बताया की डॉक्टर स्लिप में लिखी दवाओं में से जिला अस्पताल में आधी-अधूरी दवाईयां मिल रही है. मरीज के भाई अविनाश यादव ने बताया की बुखार की शिकायत पर हॉस्पिटल आया था. डॉक्टर को दिखाने के बाद दवाई लेने गया तो सिर्फ 2 दवाईयां ही मिली. पैरासिटामोल, बीपी और भूखे पेट की पेंटाप्रोजल की दवाई नहीं मिली. दवा काउंटर पर नॉट अवेलेबल लिखकर दे दिया. इस कारण अब दवाईयां बाहर से खरीदनी पड़ रही है. वही मरीज नवीन कोटेड ने बताया कि पेट दर्द की शिकायत पर डॉक्टर को दिखाने के बाद दवा लेने गया तो उसे एक भी दवा नहीं मिली, जबकि डॉक्टर ने पर्ची पर 4 दवाएं लिखी थी, उसे सभी दवा प्राइवेट से खरीदनी होगी. 


वहीं जब डूंगरपुर जिला अस्पताल में दवाओं की कमी के बारे में पीएमओ डॉ कांतिलाल मेघवाल से बात की गई तो उन्होंने कहा की कई बार दवाइयों को ड्रग वीयर हाउस से आने में देरी हो जाती है. उस समय दवाई नहीं मिली होगी. अगर कोई दवाई नहीं है तो उसे अस्पताल की ओर से खरीदकर भी उपलब्ध करवाई जाती है. 


यह भी पढ़ेंः Udaipur में 89 लोग Covid Positive, आठ कोरोना वॉरियर्स भी शामिल


बहराल डूंगरपुर जिला अस्पताल के पीएमओ जिला अस्पताल में दवाओं की कोई विशेष समस्या नहीं होने की बात कर रहे हो लेकिन हकीकत कुछ और ही है. डॉक्टर्स द्वारा जो दवाईयां मरीजों को लिखी जाती है. अधिकतर उसमे से आधी से ज्यादा दवाई निशुल्क दवा स्टोर पर होती ही नहीं है, जिसके चलते मरीजों को निजी मेडिकल शॉप्स से वे दवाई खरीदनी पड़ती है, जिससे लोगों को राज्य सरकार की निशुल्क दवा योजना का लाभ नहीं मिल पाता है. 


Reporter- Akhilesh Sharma