ISRO Aditya L-1 Mission to Sun: चंद्रयान-3 की सफलता के बाद अब भारत सूरज पर भी कामयाबी रचना के लिए आगे बढ़ गया है. श्रीहरिकोटा से आज आदित्य L1 की लॉन्चिंग हो गई. आदित्य एल-1 के निर्माण में उदयपुर का भी नाम जुड़ा हुआ है. दरअसल उदयपुर की 48 साल पुरानी हाईटेक सौलर वेध शाला के 2 वैज्ञानिकों का भी इस मिशन में अहम योगदान रहा है.


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डॉ रमित भट्टाचार्य और डॉ भुवन जोशी ने इस मिशन में अपनी रिसर्च के साथ तकनीकी सहयोग दिया है. उन्होंने आदित्य एल 1 में लगने वाले 7 पेलोड में से 1 पेलोड को बनाया है. लॉन्चिंग के वक्त इन दोनो वैज्ञानिक उदयपुर में ही थे और इन्होंने शहर के विद्या भवन स्कूल में लाइव लॉन्चिंग को देखा. इससे पूर्व स्कूली बच्चों ने दोनों ही वैज्ञानिकों का पुष्प वर्षा कर स्वागत किया. आदित्य एल 1 की लॉन्चिंग के बाद दोनों ही वैज्ञानिकों से स्कूली बच्चो से भी संवाद किया.


इस दौरान डॉ. रमित भट्टाचार्य ने कहा कि मेहनत सफल होते देखकर बेहद खुशी है. भारत के साथ देश का वैज्ञानिकों का भी सम्मान बढ़ा है. उन्होंने कहा कि इस सफलता के पीछे कई सालों की मेहनत है जो अब अब रंग लाई है. आदित्य एल 1 के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि यह सूर्य की उस जगह पर स्थापित होगा. जहां कभी सूर्य अस्त नही होता है. इसकी वजह से लगातार सूर्य पर मोनिटरिंग की जाएगी और वहां होने वाली हलचल के बारे में पता लगाया जाएगा.


बता दें कि ‘आदित्य एल1’ को सूर्य परिमंडल के दूरस्थ अवलोकन और पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर ‘एल1’ (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु) पर सौर हवा का वास्तविक अवलोकन करने के लिए बनाया गया है. ‘आदित्य एल1’ सूर्य का अध्ययन करने वाला भारत का पहला अंतरिक्ष यान है. इससे पहले नासा नासा ने साल 2001 में जेनेसिस मिशन लॉन्च किया था. इसका मकसद था सूरज के चारों तरफ चक्कर लगाते हुए सौर हवाओं का सैंपल लेना था.  नासा ने अब तक तीन प्रमुख सूर्य मिशन भेजे हैं- सोहो (सोलर एंड हेलियोस्फ़ेरिक ऑब्जर्वेटरी), पार्कर सोलर प्रोब और आइरिस (इंटरफ़ेस रिजन इमेजिंग स्पेक्ट्रोग्राफ़).


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