Banswara: प्रदेश के जनजाति अंचल कहे जाने वाले बांसवाड़ा जिले का प्रसिद्ध मां त्रिपुरा सुंदरी मंदिर (Tripura Sundari Temple) आस्था का ऐसा धाम है, जहां पर भक्तों का सैलाब रहता है. 


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यहां मन्नतों की मुराद रहती है, यहां की फिजाओं में सुकून है. यहां इत्मीनान है, जहां पापों का हरण होता है. त्रिपुरा सुंदरी मंदिर आस्था का वो धाम है, जहां देश-दुनिया के बड़े से बड़े ओहदेदार अपने शीश को माता के चरणों में रखते हैं.


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इस शक्तिपीठ के प्रति सिर्फ स्थानीय श्रद्धालु ही नहीं बल्कि विशिष्ट और अतिविशिष्ट जनों की आस्थाएं जुड़ी हुई हैं. राजस्थान, एमपी, गुजरात सहित पूरे देश के कई राजनीति के दिग्गज अपनी मन्नतों की झोली यहां पर फैलाते हैं और देवी से आर्शीवाद लेते हैं. हर वक्त मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है. मां के दरबार में राष्ट्रपति से लेकर सरपंच तक सभी अपनी मुरादों की झोली फैला चुके हैं. मां के दरबार में राजनीति यज्ञ और विजय श्री हवन करवाया जाता है. 


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यहां के पुरोहित बताते हैं कि सालों प्राचीन इस मंदिर में देवी के सिंह पर सवार अष्टादश भुजा वाली विशाल प्रतिमा है, जिसे श्रद्धालु त्रिपुरा सुंदरी, तरतई माता और त्रिपुरा महालक्ष्मी के नाम पुकारते हैं. मां की प्रतिमा का ओज कुछ खास ही है, वहीं, देवी के चरणों के नीचे श्रीयंत्र अंकित होने की वजह से इसका विशेष महत्व है, जिस वजह से यहां पर राजनेता अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए यहां पर आते हैं. 


राजनीति के दिग्गज नवाने आते हैं यहां शीश
मां के दर्शन के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, पूर्व उपराष्ट्रपति स्व भैरोंसिंह शेखावत, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, गजेंद्र सिंह शक्तावत, केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव, हेमा मालिनी, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, ओम माथुर, गुलाबचंद कटारिया सहित कई भाजपा के दिग्गज नेता यहां पर आ चुके हैं. इसके अलावा पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल, पूर्व राज्यपाल स्वं कल्याण सिंह, राजस्थान के राज्यपाल कलराज मित्र, पंजाब के राज्यपाल रहे वीपी सिंह, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, योग गुरु बाबा रामदेव, समेत कई दिग्गज माता के दरबार में धोक लगा चुके हैं. 


हर किसी की झोली भरती हैं माता रानी
वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री स्व हरिदेव जोशी, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट, विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी, मंत्री अर्जुन सिंह बामनिया समेत कई कांग्रेस के दिग्गज नेता माता के चरणों में धोक लगा चुके हैं और माता रानी ने उनकी मनोकामना भी पूरी की है. माता के दरबार मे आने वालों की झोली कभी भी खाली नहीं जाती है. माता रानी खास से लेकर आम हर किसी की मनोकामना पूरी करती हैं. यही वजह है कि माता रानी के मंदिर में गरीब से लेकर अमीर तक शीश झुकाने आते हैं और माता रानी से आर्शीवाद लेते हैं. इस मंदिर में जिसने भी सच्चे भाव से अपनी मन्नत मांगी है, उसने देश और राज्य में राज भी किया है.


क्या है मां के इस मंदिर का इतिहास
जिले के उमराई गांव में स्थित मां त्रिपुरा सुंदरी का मंदिर अतिप्राचीन है. मंदिर क्षेत्र में एक शिलालेख के अनुसार यह मंदिर सम्राट कनिष्क के काल से पूर्व का है. विक्रम संवत 1957 में इस क्षेत्र क पहली बार जीर्णोद्धार करवाया गया था. इसके बाद खंडहर होने की अवस्था में भी मां की पूजा-अर्चना होती रही. कहते हैं कि मालवा, गुजरात और मारवाड़ के राजा महाराजा भी इस देवी के उपासक थे. यहा गढ़पोली नाम का प्राचीन महानगर था, जिसमें सीतापुरी, शिवपुरी और ब्रह्मपुरी नामक तीन दुर्ग थे. इसके बीच स्थित होने से इस देवी को त्रिपुरा सुंदरी कहा जाता है. वाग्वर क्षेत्र में इसे तरतई माता कहा जाता है, जिसका अर्थ तुरंत फल देने वाली देवी है. 


मंदिर के स्वरूप को इस रूप में सन 1977 में राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री स्व हरिदेव जोशी की प्रेरणा से दानदाताओं के सहयोग से विकसित किया गया. 23 दिसंबर 1978 को मंदिर की सेवा पूजा रखरखाव के लिए देवस्थान विभाग में ट्रस्ट का पंजीयन करवाया गया, जिसका नामकरण मंदिर श्री त्रिपुरा सुंदरी व्यवस्थापक मंडल पंचाल समाज चैदह चोखरा जिला बांसवाडा और डूंगरपुर के रूम में किया गया. उसके बात समाज के इस मंदिर में विकास कार्य करवाए, उसके बाद 2007 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने धार्मिक पर्यटन स्थल के अन्तर्गत मंदिर में विकास कार्य और सौंदर्यीकरण का कार्य करवाया.


Reporter- Ajay Ojha