माता के इस मंदिर को कहते हैं 'दरगाह', अखंड ज्योति से निकलती है केसर
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माता के इस मंदिर को कहते हैं 'दरगाह', अखंड ज्योति से निकलती है केसर

माता के इस मंदिर में दीपक में से काजल की जगह केसर निकलता है.

 

यह मंदिर काफी प्राचीन है

Jodhpur: प्रदेश के सबसे बड़े दूसरे शहर जोधपुर (Jodhpur news) जिले का बिलाड़ा गांव आई माता की पवित्र नगरी है.  बिलाड़ा जोधपुर से 80 किलोमीटर दूर जयपुर रोड़ पर स्थित है. बिलाड़ा आई माता की पवित्र नगरी के रूप में पूरे देश में प्रसिद्ध है.

श्री आईमाताजी का विश्व विख्यात मंदिर तीर्थ धाम माना जाता है. माता के इस मंदिर में दीपक में से काजल की जगह केसर निकलता है. दीपक से निकलने वाले इस केसर को भक्त अपनी आंखों में लगाते हैं. यह मंदिर काफी प्राचीन है भक्तों के अनुसार यहां माता आई थी इसलिए इस मंदिर को आईजी माता (IG Mata Temple) के नाम से जाना जाता है.

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11 गुणों का उपदेश
मां दुर्गा का अवतार श्री आईमाता गुजरात (Gujarat) के अम्बापुर में अवरीत हुई थी. अम्बापुर में कई चमत्कारों के पश्चात श्री आईमाता जी भ्रमण करते हुए बिलाड़ा आई. मंदिर को केशर ज्योति मंदिर (Keshar Jyoti Mandir) के नाम से देश और दुनिया में जाना जाता हैं. यहां पर उन्होंने भक्तों को 11 गुण और सदैव सन्मार्ग पर चलने के सदुपदेश दिए.

अखंड ज्योति से केसर होता है प्रकट
यह 11 गुण आज भी लोग जानते है और उनके दिए आशीर्वाद को समझ कर उसका पालन भी करते हैं. इन उपदेशों के बाद एक दिन उन्होंने हजारों भक्तों के समक्ष स्वयं को अखंड ज्योति में विलीन कर दिया. इसी अखंड ज्योति से केसर प्रकट होता है. ऐसी मान्यता है, जो आज भी मंदिर में माताजी की उपस्थिति का साक्षात् प्रमाण है.

केसर लगाने रोग होते है दूर
मान्यताओं के अनुसार इस अखण्ड ज्योति के दर्शन से ही सभी दुख दूर हो जाते हैं. करीब 1,556 ईसवी में बने इस मंदिर में एक गद्दी है, जिसकी पूजा भक्त सदियों से करते चले आ रहे हैं. यहां माता की मात्र तस्वीर है जो गद्दी पर विराजित हैं. आई जी माता के दर्शन के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं. लोगों का ऐसा मानना है कि ज्योत से टपकने वाली केसर लगाने से आंखों के रोग के साथ अन्य रोग भी खत्म हो जाते है.

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सुबह चार बजे मंगला आरती
वहीं, यहां नवरात्रि (Navratri 2021) में भक्तों का तांता लगा रहता है. संगमरमर से बने मंदिर की भव्यता देखते ही बनती है और मंदिर में पहुंचकर मन में बहुत ही सुकून मिलता है. यहां सुबह चार बजे मंगला आरती और सायं सात बजे सांझ आरती के समय मंदिर का माहौल देखने लायक होता है.

भारतीय पौराणिक कथा
भारतीय पौराणिक कथा में मान्यता है कि दीवान वंशज के राजा माधव अचानक कहीं गायब हो गए थे और माता उन्हें ढूंढने निकली. राजा माधव माता को इसी गांव में मिले थे तभी से मां इस मंदिर में विराजित है. इस मंदिर के अंदर जलने वाला अखंड दीपक करीब 550 वर्षों से जल रहा है. लोगों का मानना है कि इस अखंड दीपक से निकले वाली लौ से निकलने वाला पदार्थ केसर है. आई माता के दर्शन करने आसपास के शहरों और राज्यों से भक्तगण आते है. यहां हजारों लोग पूजा करने और मन्नत मांगने आते है. लोगों की मन्नत पूरी होने पर वे आई माता को चढ़ावा चढ़ाते है.

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देशी घी की अखंड ज्योति
मंदिर के पुजारियों के अनुसार, आज से 550 साल पहले आई जी माता ने स्वयं इस ज्योत को जलाया था तभी से यह देशी घी की अखंड ज्योति जलती आ रही है. आई माता सीरवी जाति के लोगों की कुलदेवी है और आईजी रामदेव जी शिष्या थी. यह नवदुर्गा की अवतार मानी जाती है. भक्त इनके मंदिर को 'दरगाह' कहते हैं. बिलाड़ा में इनका स्थान है जिसे 'बडेर' कहते हैं. यहां अखंड ज्योति प्रज्वलित रहती है, जिससे केसर टपकती रहती है. इसके दर्शनों के लिए श्रद्धालु आते हैं, इन्होंने छुआछूत की भावना को दूर कर निम्र वर्ग को ऊंचा उठाने का कार्य किया.

Report- Bhawani bhati

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