आतंकियों के निशाने पर दक्षिणी राजस्थान! एक्टिव स्लीपर सेल के बीच जांच एजेंसियों के हाथ खाली
उदयपुर-अहमदाबाद रेल लाइन के ओडा पूल पर हुए विस्फोट की घटना को आज चार दिन हो गए है. घटना के चौथे दिन भी सुरक्षा एजेंसियों के हाथ खाली है. अभी तक पूल पर हुए ब्लास्ट करने वाले आरोपियों के बारे में काई ठोस सुराग हाथ नहीं लग पाया है.
Udaipur : उदयपुर-अहमदाबाद रेल लाइन के ओडा पूल पर हुए विस्फोट की घटना को आज चार दिन हो गए है. घटना के चौथे दिन भी सुरक्षा एजेंसियों के हाथ खाली है. अभी तक पूल पर हुए ब्लास्ट करने वाले आरोपियों के बारे में काई ठोस सुराग हाथ नहीं लग पाया है. मामले की जांच में जुटी एजेंसिया अब तक सौ से अधिक संदिग्ध लोगों से पूछताछ कर चूकी है. लेकिन ब्लास्ट के पिछे क्या मकसद था इसका पता नहीं चल पाया है. तो वही घटना स्थल से करीब 60 किलो मीटर दूर उदयपुर-डूंगरपुर सीमा पर लगातार दो दिन से मिल रहे विस्फोटक पदार्थो ने पुलिस और जांच एजेंसियों के सामने एक नई चुनौती खडी कर दी है. ऐसे में बडा सवाल यह है कि देश के सबसे शांत शहर में शुमार लेकसिटी उदयपुर अब आतंकियों के निशाने पर है या यहां के आदिवासी इलाके में अब नक्सली एक्टिव होने लगे है. इन दोनों आशंकाओं के बीच अगले महिने उदयपुर में जी-20 देशों की शेरपा बैठक भी होने जा रही है. जो कि पुलिस और प्रशासन के सामने बडी चुनौती बन गई है.
उदयपुर शहर को देश और दूनिया में लेकसिटी सहीत कई नामों से जाना जाता है. इस शहर की खुबसुरती को निहारने के लिए सात समन्दर पास से मेहमान हर साल लाखों की संख्या में सैलानी आते है. लेनिक 28 जुन को कन्हैलाल हत्याकांड के बाद मानो इस शहर की फिजा ही बदल गई है. किसी तहर स्थानिय प्रशासन ने कन्हैयालाल हत्याकांड के बाद बिगडे माहौल को संभाल लिया और शहर फिर से पटरी पर लौटने लगा. लेकिन इसी बीच चार दिन पहले उदयपुर के ओडा रेलवे पूल पर हुए ब्लास्ट ने एक बार फिर शहर की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खडे कर दिए. इसके बाद एक बार फिर यह चर्चा ने जोर पकड लिया है कि क्या उदयपुर शहर आतंकियों और नक्सलियों के निशाने पर है. इसी को देखते केन्द्र और राज्य सरकार एक्टिव नजर आ रही है. पूल पर हुए ब्लास्ट के बाद एनएसजी, एसओजी, एटीएस और एनआईए की टीमें एक्टिव हो गई. तमाम एजेंसियों के आलाधिकारियों ने घटना स्थल को मौका मुवायना किया और घटना की जानकारी ली. स्थानिय पुलिस के अधिकारी मामले की जांच में जुटी एजेंसियों ने अपनी जांच का दायरा उदयपुर के बाहर आतंकी और नक्सल प्रभावित इलाकों तक बढा दिया है. जिससे पुरे मामले का खुलासा किया जा सके. हालाकि अभी भी काई भी अधिकारी जांच के बारे में काई ठोस जानकारी नहीं दे रहा है. वही उदयपुर-डूंगरपुर सीमा पर बीते दो दिनों से मिल रहे विस्फोटक पदार्थो के बाद स्थानिय पुलिस एक्टिव मोड में नजर आ ही है. आसपुर और झल्लारा थाना क्षेत्र की सीमा पर सोम नदी के समीप मिले इन विस्फोटक पदार्थो ने क्षेत्र में आतंकी और नक्सली एक्टिवीटी की संभावनाओं को बढा दिया है.
एक दशक पहले ही सुरक्षा एजेंसियों ने किया था आगाह
बात अगर उदयपुर के आदिवासी इलाकों की करते तो एक दशक पहले ही स्थानिय एजेंसियों के कार्मिकों ने सरकार को एक गोपनिय रिपोर्ट में उदयपुर जिले के आदिवासी इलाकों में नक्सली गतिविधियों के पनपने की जानकारी दी थी. लेकिन इसके बाद इस आरे कोई खास कदम नहीं उठाए गए. यही कारण है कि पिछले कुछ वर्षो में उदयपुर ही नहीं संभाग के अन्य आदिवासी बाहुल्य जिलों में क्षेत्र के युवाओं ने कई उग्र आन्दोलन कर सरकारी और निजी सम्पतियों को भारी नुकसान पहुंचा. ऐसे में संभावना जताई जा सकती है कि करीब एक दशक पहले सुरक्षा एजेंसियों के कार्मिकों की ओर से जताई गई संभावना अब मुर्त रूप तो नहीं लेने लगी है.
क्या शहर में एक्टिव है स्लिपर सेल
उदयपुर में हुए कन्हैलाल हत्या कांड के मामले में पीएमआई का कनेक्शन सामने आया. इसके साथ ही शहर में स्लिपर सेल के एक्टीव होने की आशंका बढने लगी. हालाकि हत्याकांड के बाद बीते साढे चार माह तक एसी कोई भी घटना नहीं हुई जिससे स्लिपर सेल के एक्टिव होने की संभावना जताई जा सके. लेकिन रेलवे पूल को उडाने की साजिश को लेकर हुए ब्लास्ट के बाद मामले की जांच कर रही सुरक्षा एजेंसिया इस मामले की कन्हैयाला हत्याकांड के एंगल को लेकर भी अपनी जांच को आगे बढा रही है.
अगले माह है जी-20 बैठक
उदयपुर में आगामी 5 से 7 दिसम्बर को जी-20 देशों की शेरपा बैठक होने वाली है. जिसकी तैयारी को लेकर स्थानिय प्रशाासन पुरे जोर शोर से जुटा हुआ है. लेकिन इस बीच हुए इस घटना क्रम ने पुलिस और स्थानिय प्रशासन के सामने नई चुनौतियां खडी कर दी है. यही कारण है कि पुलिस ने बीते दो दिनों में विशेष अभियान चलाकर अपराधिक प्रवृतियों में लिप्त रहने वालों पर लगाम लगानी शुरू कर ही. पुलिस ने रेलवे-बस स्टेशन के साथ होटल और धर्मशालाओं की तलाशी ली है. तो वही शेरपा मीटिंग वैन्यू पर भी सर्च अभियान चलाया. लेकिन इस सभी आशंकाओं के बीच जी-20 बैठक का आयोजन करवाना प्रशासन के लिए बडी चुनौती होगा.
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