जानिए राम मंदिर विवाद के अहम पड़ाव, कब क्या हुआ
विवादित बाबरी मस्जिद की समस्या का हल बातचीत से करने के सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद राम मंदिर निर्माण का मुद्दा फिर चर्चा में आ गया है. हिंदू और मुस्लिम धर्मगुरुओं ने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के मद्देनजर अपनी-अपनी राय व्यक्त की है. कुछ राजनीतिक दलों ने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का स्वागत किया है तो कुछ का कहना है कि इस मसले का समाधान कोर्ट के बाहर नहीं हो सकता है. आइए, जानते हैं राम मंदिर विवाद से जुड़े अहम पड़ाव-
नई दिल्ली : विवादित बाबरी मस्जिद की समस्या का हल बातचीत से करने के सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद राम मंदिर निर्माण का मुद्दा फिर चर्चा में आ गया है. हिंदू और मुस्लिम धर्मगुरुओं ने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के मद्देनजर अपनी-अपनी राय व्यक्त की है. कुछ राजनीतिक दलों ने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का स्वागत किया है तो कुछ का कहना है कि इस मसले का समाधान कोर्ट के बाहर नहीं हो सकता है. आइए, जानते हैं राम मंदिर विवाद से जुड़े अहम पड़ाव-
1528 : अयोध्या में मुगल शासक सम्राट बाबर ने मस्जिद बनवाई थी जिस कारण इसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता था.
1853 : अंग्रेजों के शासनकाल में पहली बार अयोध्या में सांप्रदायिक दंगे हुए.
1859 : अंग्रेजों ने विवादित स्थल पर बाड़ लगा दी और परिसर के भीतरी हिस्से में मुसलमानों को और बाहरी हिस्से में हिंदुओं को प्रार्थना करने की अनुमति दे दी.
1949 : भगवान राम की मूर्तियां मस्जिद में पाई गयीं. दोनों पक्षों ने अदालत में मुकदमा दायर किया जिसके यहां ताला लगा दिया गया.
1984 : विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के नेतृत्व में राम मंदिर का निर्माण करने के लिए एक समिति का गठन किया गया.
1986 : जिला मजिस्ट्रेट ने हिंदुओं को प्रार्थना करने के लिए विवादित मस्जिद के दरवाजे पर से ताला खोलने का आदेश दिया. मुसलमानों ने इसके विरोध में बाबरी मस्जिद संघर्ष समिति का गठन किया.
1989 : विहिप ने राम मंदिर निर्माण के लिए विवादित स्थल के नजदीक राम मंदिर की नींव रखी.
1992 : विहिप, शिव सेना और बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया. इसके परिणामस्वरूप देश भर में हिंदू और मुसलमानों के बीच सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे.
2001 : अटल सरकार के समय बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी पर तनाव बढ़ गया और विश्व हिंदू परिषद ने विवादित स्थल पर राम मंदिर निर्माण करने के अपना संकल्प दोहराया.
जनवरी 2002 : अयोध्या विवाद सुलझाने के लिए प्रधानमंत्री वाजपेयी ने अयोध्या समिति का गठन किया.
फ़रवरी 2002 : विहिप ने 15 मार्च से राम मंदिर निर्माण कार्य शुरू करने की घोषणा कर दी. अयोध्या से लौट रहे कारसेवक जिस रेलगाड़ी में यात्रा कर रहे थे उस पर गोधरा में हुए हमले में 58 कार्यकर्ता मारे गए.
13 मार्च, 2002 : सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अयोध्या में यथास्थिति बरकरार रखी जाएगी. केंद्र सरकार ने कहा कि कोर्ट के फैसले को माना जाएगा.
मार्च 2003 : केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से विवादित स्थल पर पूजापाठ की अनुमति देने का अनुरोध किया जिसे ठुकरा दिया गया.
अप्रैल 2003 : इलाहाबाद हाइकोर्ट के निर्देश पर पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग ने विवादित स्थल की खुदाई शुरू की, जून महीने तक खुदाई चलने के बाद आई रिपोर्ट में कहा गया है कि उसमें मंदिर से मिलते जुलते अवशेष मिले हैं.
मई 2003 : सीबीआई ने 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले में उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी सहित आठ लोगों के ख़िलाफ पूरक आरोपपत्र दाखिल किए.
अगस्त 2003 : भाजपा नेता और उप प्रधानमंत्री ने विहिप के इस अनुरोध को ठुकराया कि राम मंदिर बनाने के लिए विशेष विधेयक लाया जाए.
अप्रैल 2004 : आडवाणी ने अयोध्या में अस्थायी राममंदिर में पूजा की और कहा कि मंदिर का निर्माण ज़रूर किया जाएगा.
जनवरी 2005 : लालकृष्ण आडवाणी को अयोध्या में छह दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद के विध्वंस में उनकी कथित भूमिका के मामले में अदालत में तलब किया गया.
जुलाई 2005 : 5 हथियारबंद चरमपंथियों ने विवादित परिसर पर हमला किया जिसमें 5 चरमपंथियों सहित छह लोग मारे गए, हमलावर बाहरी सुरक्षा घेरे के नज़दीक ही मार डाले गए.
30 जून 2009 : बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले की जांच के लिए गठित लिब्रहान आयोग ने 17 वर्षों के बाद अपनी रिपोर्ट प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सौंपी.
24 नवंबर, 2009: लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट संसद के दोनों सदनों में पेश. आयोग ने अटल बिहारी वाजपेयी और मीडिया को दोषी ठहराया और नरसिंह राव को क्लीन चिट दी.
सितंबर, 2010: रामजन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद पर सुनवाई पूरी. हाईकोर्ट ने विवादित स्थल को तीन हिस्सों में बांटने का फैसला सुनाया.
2011 : सुप्रीम कोर्ट नें हाईकोर्ट के फैसले पर स्टे लगा दिया.