Indian History: मुगलों के सामने झुकने के बजाय जहर पीना चुना, कौन थी रानी रूपमती
Rani Roopmati and Baz Bahadur: सुल्तान बाज बहादुर ने जब रूपमती के सामने साने जब शादी का प्रस्ताव रखा तो उन्होंने हामी भर दी. बताया जाता है कि दोनों की शादी 1555 में मुस्लिम और हिंदू रस्मों के अनुसार हुई.
Rani Roopmati and Baz Bahadur Love Story: सुल्तान बाज बहादुर खान और रानी रुपमती की प्रेम कहानी भारतीय इतिहास की सबसे मशहूर प्रेम कहानियों में से एक है. कहते हैं रूपमती की आवाज में इतनी मिठास थी कि जब कोई उनका गाना सुनता था तो बस खो ही जाता था. एक दिन मालवा के महाराजा बाज बहादुर खान अपने काफिले के साथ उनके गांव से गुजर रहे थे. इस दौरान रूपमती गाना गा रही थीं.
रूपमती की आवाज जब बाज बहादुर के कानों में पड़ी तो वे उसी आवाज के पीछे चल दिए और जब उन्होंने रुपमती को देखा तो देखते ही रह गए. कहा जाता है कि बाज बहादुर खुद भी संगीत के अच्छे जानकार थे.
पहली नजर में ही रूपमती से प्यार कर बैठे बाज बहादुर ने जब रूपमती के सामने साने जब शादी का प्रस्ताव रखा तो उन्होंने हामी भर दी. बताया जाता है कि दोनों की शादी 1555 में मुस्लिम और हिंदू रस्मों के अनुसार हुई.
दौलत खान के साथ बाज बहादुर का युद्ध
बाज़ बहादुर रूपमती के प्यार में राजपाट से दूर होते गए. इसी दौरान शेरशाह सूरी का बेटा सलीम शाह सूरी की नजर उनके राज्य पर पड़ी. सूरी ने दौलत खान को बाज बहादुर पर हमला करने के लिए भेजा हालांकि यह दांव उल्टा पड़ा. बाज बहादुर ने दौलत खान का मारकर उसका सिर सारंगपुर के दरवाजे पर लटका दिया. जिन इलाकों पर दौलत खान ने कब्जा कर लिया था उसे भी फिर से अपने कब्जे में ले लिया.
राज्य में फैली अव्यवस्था
लेकिन इस जीत के बाद बिखराव की भी शुरूआत हो गई. माना जाता है कि इस विजय के बाद बाज बहादुर वापस भोग विलास में खो गए. दरबार में उच्चे पद पर बैठे लोग जनता पर जुल्म करने लगे.
अधम खान का आक्रमण
बाज बहादुर की सल्तनत में फैली अव्यवस्था की खबर जब बादशाह अकबर को मिली थो उसने मार्च 1570 में अधम ख़ान को मालवा भेजा. बाज बहादुर अधम खान का मुकाबला नहीं कर पाए. वह खानदेश निकल गए हैं जो अब महाराष्ट्र में है.
बाज बहादुर की रियासत जीतने के बाद अधम खान ने वहां की दौलत का एक हिस्सा अकबर को भेज दिया जबकि एक हिस्सा अपने करीबी शासकों को दे दिया. उसे जब रानी रूपमती की सुंदरता के बारे में पता चला तो उसने उन्हें पैगाम भेजा लेकिन रूपमति ने इनकार कर दिया.
रूपमति ने खाया जहर
अधम खान ने कई बार रूपमति को बुलाने की कोशिश की लेकिन रूपमती नहीं मानी. एक दिन वह जहर खाकर हमेशा के लिए सो गई. रूपमती की मौत की खबर सुन अधम खान को गहरा झटका लगा और रूपमती को सारंगपुर में ही सुपुर्द-ए-खाक किया गया. इस पूरी घटना की जानकारी जब अकबर को लगी तो वह अधम खान से बहुत नाराज हुए.
आगे चलकर बाज बहादुर ने अकबर की बादशाहत को स्वीकार कर लिया और दरबार में काम करने लगे जब उनकी मौत हई तो उन्हें भी रूपमती की कब्र के पास ही दफन किया गया.
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