नई दिल्ली: कोरोना वायरस के संक्रमण का पता लगाने के लिए हाल में बांटे गए रैपिड टेस्टिंग किट का इस्तेमाल नहीं करने की सलाह देने के एक दिन बाद आईसीएमआर ने एक प्रोटोकॉल जारी कर दोहराया है कि इनका इस्तेमाल निगरानी मकसद से होना चाहिए. वैसे संक्रमण की जांच के लिए आरटी-पीसीआर परीक्षण को ही जारी रखना चाहिए.


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रैपिड टेस्टिंग किट के बारे में कुछ राज्यों की ओर से उठाए गए मुद्दों के मद्देनजर भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के अतिरिक्त महानिदेशक डॉ. जीएस टुटेजा ने बुधवार को राज्यों और केंद्रशासित प्रदेश के मुख्य सचिवों को एक पत्र में कहा है कि आईसीएमआर ने कोविड-19 का प्रारंभिक चरण में पता लगाने के लिए हमेशा गला और नाक के जरिए आरटी-पीसीआर परीक्षण पर ही जोर दिया है. 


पत्र में कहा गया कि 17 अप्रैल की तारीख वाले परामर्श में शीर्ष चिकित्सा अनुसंधान संस्थान ने रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट की संभावना, उद्देश्य और इस्तेमाल पर स्पष्ट दिशा-निर्देश दिया है. टुटेजा ने कहा, "मैं फिर से दोहराना चाहूंगा कि रैपिड टेस्टिंग किट का इस्तेमाल किसी व्यक्ति में वायरस के संक्रमण के संबंध में निगरानी के वास्ते एक उपकरण के तौर पर किया जाता है." 


उन्होंने आगे कहा कि वैश्विक स्तर पर भी इसका इस्तेमाल चलन में आने लगा है और वर्तमान में किसी व्यक्ति में एंटीबॉडीज की पहचान के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है. उन्होंने राज्यों को इन परीक्षणों के लिए वर्णित तौर-तरीकों को अपनाने और इसका इस्तेमाल उसी के लिए करने को कहा है जिस मकसद के लिए ये किट है. टुटेजा ने कहा, "फिर से दोहराया जा रहा है कि कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के वास्ते आरटी-पीसीआर टेस्टिंग पर ही जोर देना चाहिए." 


आईसीएमआर में महामारी विज्ञान और संचारी रोग के प्रमुख डॉ. रमण आर गंगाखेडकर ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में चीन से खरीदे गए रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट किट का इस्तेमाल अगले दो दिनों तक नहीं करने की सलाह दी थी.