Lalu Yadav to contest Presidential Election 2022: चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए तारीख का ऐलान कर दिया है. राष्ट्रपति चुनाव के लिए 18 जुलाई को मतदान होगा. अभी तक बीजेपी या कांग्रेस पार्टी की तरफ से इस पद के लिए किसी के नाम का ऐलान नहीं हुआ है. लेकिन इस बीच बिहार के लालू प्रसाद यादव राष्ट्रपति बनने के लिए चुनाव लड़ने जा रहे हैं. नामांकन दाखिल करने के लिए वो 15 जून को दिल्ली पहुंचने की तैयारी कर रहे हैं. आपको बता दें कि हम बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की बात नहीं कर रहे, बल्कि सारण के रहने वाले लालू प्रसाद यादव की बात कर रहे हैं.


2017 में भी किया था नामांकन


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दैनिक जागरण में छपी एक खबर के मुताबिक, सारण जिले के मढ़ौरा नगर पंचायत क्षेत्र स्थित यादव रहीमपुर के निवासी लालू प्रसाद यादव ने साल 2017 में हुए राष्ट्रपति चुनाव के लिए भी नामांकन किया था. लेकिन संख्या बल पूरा नहीं होने के चलते उनका नामांकन रद्द हो गया था. इस बार वो पूरी तैयारी में है. नामांकन दाखिल करने के लिए वो 15 जून को जाने की तैयारी कर रहे हैं. उन्होंने इसके लिए फ्लाइट का टिकट भी बुक करा लिया है.


नगर पंचायत से लेकर राष्ट्रपति चुनाव में आजमा चुके हैं भाग्य


जानकारी के मुताबिक, लालू प्रसाद यादव नगर पंचायत से लेकर राष्ट्रपति चुनाव तक में अपना भाग्य आजमा चुके हैं. ये बात अलग है कि उन्हें  आज तक सफलता नहीं मिली है. वो साल 2001 में सबसे पहले वार्ड पंचायत चुनाव लड़े थे, इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद साल 2006 और 2009 तक वार्ड पंचायत का चुनाव लड़े और हार गए.


लगातार मिल रही हार के बाद भी नहीं छोड़ा चुनाव लड़ना


लालू प्रसाद यादव ने लगातर मिल रही हार के बाद भी चुनाव लड़ना नहीं छोड़ा. वो साल 2014 में लोकसभा चुनाव लड़े और हार गए. इतना ही नहीं वो 2015 के भी विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमा चुके हैं. यही नहीं विधान परिषद के 2016 में सारण स्नातक निर्वाचन क्षेत्र, 2020 में सारण शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र और 2022 में सारण त्रिस्तरीय पंचायत निर्वाचन क्षेत्र के चुनावी मुकाबले में भी उन्होंने किस्मत आजमाई, लेकिन हार का सामना करना पड़ा.


उन्हें चुनाव लड़ने का बनाना है रिकॉर्ड


बिहार में लालू प्रसाद यादव तो 'धरती पकड़' के नाम से जाना जाता है. उनका कहना है कि उन्हें चुनाव लड़ने का रिकॉर्ड बनाना है. वो उन लोगों में से नहीं हैं, जो हार मिलने के बाद चुपचाप बैठ जाएं. उनका मानना है कि कभी न कभी उनकी किस्मत साथ देगी और वो राज्य या केंद्र के किसी सदन का हिस्सा बनेंगे. उन्हें राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए  सौ प्रस्तावकों की जरूरत है, फिलहाल उनके पास 40 प्रस्तावक हैं. लेकिन उनका कहना है कि वो दिल्ली जाकर बाकी प्रस्तावकों की व्यवस्था करेंगे.


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