श्रीनगर: कश्मीर में आतंकवाद को खत्म करने के लिए चलाए जा रहे सुरक्षा बलों के अभियान, और आम कश्मीरी को साथ जोड़ने के लिए उठाए गए कदमों की दोहरी रणनीति के परिणाम सामने आ रहे हैं. इस साल के आंकड़े बताते हैं कि आतंकवादी घटनाओं और युवाओं के आतंकवादी गिरोहों में शामिल होने दोनों में जबरदस्त कमी आ रही है. वहीं अब तक सुरक्षा बलों के हाथों 52 आतंकवादी मारे जा चुके हैं. इनमें से 16 कोरोना के लॉकडाउन लगने के बाद गोलियों का निशाना बने.


अब भी 220 से ज्यादा आतंकी सक्रिय


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सुरक्षा बलों के सूत्र बताते हैं कि इस समय कश्मीर घाटी में 220 से ज्यादा आतंकवादी सक्रिय हैं, जिनमें से 80-90 विदेशी हैं. इस साल 1 जून तक 35 आतंकवादी घटनाएं हुईं, जबकि पिछले साल इस समय तक 49 आतंकवादी घटनाएं हुई थीं. इस साल आतंकी वारदातों में 29% यानी लगभग एक तिहाई की कमी आई है. पिछले साल एक मई तक घाटी से कुल 49 युवकों ने आतंकवादी गिरोहों का साथ पकड़ा था. जबकि इस साल 23% यानी लगभग एक चौथाई कम 38 युवक आतंकवादियों के साथ जुड़े. एक अंदाजें के मुताबिक, घाटी में हर महीने औसतन 10 युवक आतंकवादी गिरोहों में हर महीने शामिल होते थे, लेकिन इस साल ये तादाद घटी है.


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52 आतंकवादियों को उतारा मौत के घाट


कश्मीर में इस साल अब तक 52 आतंकवादी सुरक्षा बलों की गोलियों का निशाना बने हैं, जिनमें से 16 को लॉकडाउन शुरू होन के बाद मौत के घाट उतारा गया. हालांकि जम्मू-कश्मीर पुलिस ने खुद स्वीकार किया है कि लॉकडाउन के बाद ऑपरेशन की रफ्तार कुछ धीमी पड़ी, लेकिन ऑपरेशन जारी हैं. इस साल अब तक 18 सुरक्षा कर्मियों को भी वीरगति मिली है. इनमें से सेना के 7, सीआरपीएफ के 3 और जम्मू-कश्मीर पुलिस के 8 जवान शामिल हैं. 


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इस साल 11 आम नागरिकों की हुई मौत


बौखलाए आतंकवादियों ने इस दौरान 11 नागरिकों को अपना निशाना बनाया है, जिनमें से 3 राजनीति से जुड़े हुए लोग शामिल हैं. रियाज पीर और शम्सुद्दी नाम के दो काउंसिलर को सोपोर में आतंकवादियों ने मार डाला. वहीं त्राल में बीजेपी नेता राकेश पंडित की भी आतंकवादियों ने हत्या की. फरवरी में आतंकवादियों ने श्रीनगर के प्रसिद्ध कृष्णा ढाबा के मालिक आकाश मेहरा की हत्या कर दी थी, क्योंकि उन्होंने कश्मीर में नागरिकता के लिए आवेदन दिया था.


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