नई दिल्ली: मशहूर शायर राहत इंदौरी (Rahat Indori) का दिल का दौरा पड़ने से 70 साल की उम्र में निधन हो गया है. इंदौर के अरबिंदो अस्पताल में उनका कोरोना का इलाज भी चल रहा था. कोरोना से संक्रमित पाए जाने के बाद उन्हें अरबिंदो अस्पताल में थे भर्ती कराया गया था. राहत इंदौरी ने खुद मंगलवार सुबह खुद ट्वीट कर इसकी जानकारी दी थी. वह देर शाम छोटी खजरानी कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक हो गए. कोरोना की वजह से प्रशासन ने उन्हें दफनाया. उनके बड़े बेटे फैसल राहत ने उनके चाहने वालों से अंतिम यात्रा में शामिल न होने की अपील की थी. 


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इससे पहले राहत इंदौरी ने मंगलवार सुबह ट्वीट कर कहा, 'कोविड के शरुआती लक्षण दिखाई देने पर कल मेरा कोरोना टेस्ट किया गया, जिसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. ऑरबिंदो हॉस्पिटल में एडमिट हूं. दुआ कीजिए जल्द से जल्द इस बीमारी को हरा दूं.' इसके साथ ही उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा है कि एक और इल्तेजा है, मुझे या घर के लोगों को फोन ना करें, मेरी खैरियत ट्विटर और फेसबुक पर आपको मिलती रहेगी.


बता दें कि राहत इंदौरी उर्दू के मशहूर शायर होने के साथ ही बॉलीवुड के चर्चित संगीतकार थे. उनका जन्म 1 जनवरी 1950 को इंदौर में रफतुल्लाह कुरैशी के घर पर हुआ था. वे एक कपड़ा मिल में काम करते थे. उनकी मां का नाम मकबूल उन निसा बेगम था. उन्होंने इंदौर के नूतन स्कूल से 10वीं की परीक्षा पूरी की. इसके बाद इंदौर के ही इस्लामिया करीमिया कॉलेज से उन्होंने स्नातक और भोपाल की बरकतुल्लाह यूनिवर्सिटी से उर्दू में स्नातकोत्तर किया. 


उन्होंने मध्य प्रदेश की भोज यूनिवर्सिटी से उर्दू साहित्य में पीएचडी की. वे एक अच्छे पेंटर भी थे. वे पिछले करीब 45 सालों से मुशायरे और कवि सम्मेलनों की जान बने हुए थे. उनकी लोकप्रियता का आलम ये था कि उन्हें भारत ही नहीं दुनिया के अन्य हिस्सों से भी निमंत्रण मिलते रहते थे. वे मुशायरे और कवि सम्मेलनों के लिए अमेरिका, ब्रिटेन, संयुक्त अरब अमीरात, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, सिंगापुर, मॉरीशस, कुवैत, कतर, बहरीन, ओमान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल समेत कई देशों में जा चुके थे.


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