RG Kar Case: आरजी कर अस्पताल रेप-मर्डर केस में आंदोलन का असर, डॉक्टर्स और बंगाल सरकार में बातचीत के लिए शर्तों का दौर
RG Kar Hospital Rape-Murder Case: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ट्रेनी लेडी डॉक्टर के रेप और मर्डर के बाद से जारी आंदोलन का असर दिखा है. पश्चिम बंगाल सरकार ने 31 वर्षीय महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार और उसकी हत्या की घटना से पैदा हुए गतिरोध पर बातचीत के लिए आंदोलनकारी जूनियर डॉक्टर्स को राज्य सचिवालय ‘नबान्न’ में होने वाली बैठक में बुलाया.
Kolkata Horror Update: आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 31 साल की ट्रेनी लेडी डॉक्टर के साथ बलात्कार और उसकी हत्या की संगीन वारदात से पैदा गतिरोध पर बातचीत के लिए पश्चिम बंगाल सरकार ने आंदोलनकारी जूनियर डॉक्टर्स को राज्य सचिवालय ‘नबान्न’ में होने वाली बैठक में बुलाया. हालांकि, एक महीने से ज्यादा समय से आंदोलन कर रहे जूनियर डॉक्टर्स ने जवाबी पत्र भेजकर अपनी मांग रखी है. वहीं, सरकार ने भी जवाब में अपनी शर्तें रखी हैं.
बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के मौजूद रहने की मांग
प्रदर्शनकारी डॉक्टर्स ने बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के मौजूद रहने और अपने 30 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को साथ आने की इजाजत देने की मांग रखी थी. इससे पहले बुधवार दोपहर को ही आंदोलनकारी जूनियर डॉक्टर्स ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को एक ई-मेल भेजकर गतिरोध पर चर्चा के लिए समय मांगा था. इसी ई-मेल के रिप्लाई में बंगाल सरकार की ओर से उन्हें बातचीत के लिए आमंत्रित करते हुए 12-15 प्रतिनिधियों के इसमें शामिल होने के लिए कहा गया था.
बंगाल के मुख्य सचिव मनोज पंत ने आंदोलनकारियों को बुलाया
पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव मनोज पंत ने आंदोलनकारी जूनियर डॉक्टर्स को जवाबी पत्र में लिखा, ‘‘हम आपके प्रतिनिधिमंडल को आमंत्रित करते हैं, जिसमें 12-15 साथी शामिल हों, जो आज (बुधवार) शाम छह बजे ‘नबान्न’ में चर्चा के लिए शामिल हों. कृपया अपने प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों की सूची ईमेल द्वारा भेजें. हम आपकी सकारात्मक प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा कर रहे हैं और एक सार्थक बातचीत की उम्मीद करते हैं.’’ हालांकि, इस मेल में यह जिक्र नहीं किया गया है कि बैठक की अध्यक्षता मुख्यमंत्री ममता बनर्जी करेंगी या नहीं करेंगी.
काम पर लौटने की समयसीमा के पालन से चूके जूनियर डॉक्टर्स
मनोज पंत ने यह भी कहा कि डॉक्टर मंगलवार शाम पांच बजे तक काम पर लौटने की समयसीमा के पालन से पहले ही चूक गए हैं. उन्होंने कहा, ‘‘आप निसंदेह इस बात पर सहमति जताएंगे कि कानून का पालन करने वाले नागरिक के रूप में इन निर्देशों का पालन करना हर किसी का कर्तव्य है. दुर्भाग्य से, अभी तक इसका पालन नहीं किया गया है. उम्मीद है कि आप सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए तुरंत काम पर लौट आएंगे. राज्य सरकार की ओर से हम आपसे अपील करते हैं कि आप काम पर लौटें और आम लोगों को उचित इलाज मुहैया कराएं.’’
पूरी चर्चा का सीधा प्रसारण किया जाए... आंदोलनकारियों की मांग
इससे पहले एक आंदोलनकारी जूनियर डॉक्टर ने कहा था कि वे मुख्य सचिव के निमंत्रण को लेकर विचार-विमर्श कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘नबान्न के न्योते को स्वीकार करने या न करने का फैसला करने से पहले कई बिंदुओं पर चर्चा करने की जरूरत है.’’ दूसरे डॉक्टर ने बताया कि अपने मेल में उन लोगों ने कहा कि वे ‘‘किसी भी समय और कहीं भी’’ बैठक के लिए तैयार हैं, बशर्ते कि पूरी चर्चा का सीधा प्रसारण किया जाए. एक जूनियर डॉक्टर ने कहा, ‘‘हमने मुख्यमंत्री को बैठक के लिए पत्र लिखा है, जो आज या कल कभी भी और उनकी पसंद के अनुसार कहीं भी आयोजित की जा सकती है, लेकिन, बैठक का सीधा प्रसारण किया जाना चाहिए.’’
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद 33वें दिन भी आंदोलन जारी
बंगाल के स्वास्थ्य विभाग कार्यालय के बाहर काफी समय से प्रदर्शन कर रहे आंदोलनकारी डॉक्टर मांग कर रहे हैं कि कोलकाता पुलिस आयुक्त विनीत गोयल, राज्य के स्वास्थ्य सचिव, स्वास्थ्य शिक्षा निदेशक (डीएचई) और स्वास्थ्य सेवा निदेशक (डीएचएस) को उनके पदों से फौरन हटाया जाए. दस सितंबर को शाम पांच बजे तक काम पर लौटने के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश की अवहेलना करते हुए प्रदर्शनकारी जूनियर डॉक्टरों ने इंसाफ की मांग को लेकर बुधवार को 33वें दिन भी अपना काम बंद रखा.
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पीड़ित परिवार और सीएम ममता बनर्जी के बीच आरोपों का दौर
दूसरी ओर, जान गवां चुकी लेडी डॉक्टर की मां और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच 'पैसे की पेशकश' को लेकर आरोपों के चलते दिन भर राजनीतिक चर्चा होती रही. सीएम ममता बनर्जी ने पीड़ित परिवार से आरोपों पर सबूत दिखाने की मांग की तो परिवार ने कहा कि क्या तकलीफों से भरे उस समय हम उन लोगों का वीडियो बनाते. सीएम ने दुर्गा पूजा का हवाला देते हुए फिलहाल कोलकाता पुलिस आयुक्त विनीत गोयल को पद से नहीं हटाने के संकेत दिए हैं. वहीं, मामले के पीछे केंद्र और वामपंथी दलों का हाथ बताया है.
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