Road Accident Deaths In India Statistics: भारत की सड़कों पर चलता जान हथेली पर लेकर चलने के बराबर है. सड़क हादसों से होने वाली मौतों के मामले में भारत पूरी दुनिया में पहले नंबर पर है. केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि पिछले 10 साल (2014-2023) में सड़क हादसों में करीब 15.3 लाख लोगों ने जान गंवाई है. यह चंडीगढ़ जैसे केंद्रशासित प्रदेश की कुल आबादी से भी ज्यादा है. उससे पहले वाले दशक (2004-2013) के दौरान, देश में सड़क हादसों की वजह से 12.1 लाख की मौत दर्ज की गई थी.


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हर 10 हजार किलोमीटर पर सड़क हादसों में जितने लोग भारत में जान गंवाते हैं, दूसरे देशों में उसका आधा भी नहीं. ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि देश में सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतों की दर प्रति 10,000 किलोमीटर पर लगभग 250 है. अमेरिका, चीन और ऑस्ट्रेलिया में यह आंकड़ा क्रमशः 57, 119 और 11 है.


सड़कों पर बढ़ती जा रहीं गाड़ियां


केंद्र सरकार का डेटा दिखाता है कि 2012 में कुल रजिस्टर्ड वाहनों की संख्या 15.9 करोड़ थी. अगले 11-12 साल में गाड़ियों की संख्या दोगुने से भी अधिक हो गई है. 2024 तक, सरकारी आंकड़ों में लगभग 38.3 लाख गाड़ियां रजिस्टर्ड थीं. इस दौरान, उसी अनुपात में सड़कें नहीं बढ़ीं. 2012 में जहां भारतीय सड़कों की कुल लंबाई 48.6 लाख किलोमीटर थी, तो 2019 तक यह 63.3 लाख किलोमीटर तक पहुंची थी.


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क्यों कम नहीं हो हादसे?


सड़क सुरक्षा के तमाम उपायों के बावजूद, देश में सड़क हादसों में मरने वालों की संख्या कम होने के बजाय बढ़ती जा रही है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, सड़कों की लंबाई और गाड़ियों की संख्या हर साल मौतें बढ़ने की वजह नहीं हो सकते. सड़क हादसों को लेकर पुलिस की उदासीनता भी रवैये में बदलाव न आने की एक बड़ी वजह है.