RSS Chief Mohan Bhagwat: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत का एक बयान कांग्रेस का सियासी हथियार बन गया है. भागवत ने गुरुवार को एक कार्यक्रम में मनुष्य के 'सुपरमैन' और 'देवता' बनने की इच्छाओं पर तंज कसा था. भागवत का कहना था कि 'मनुष्य सुपरमैन बनना चाहता है... देवता बनना चाहता है... लेकिन मानवता नहीं है, इंसानियत नहीं है...' भागवत ने यह बात झारखंड के बिष्णुपुर में ग्राम स्तरीय कार्यकर्ता संवाद कार्यक्रम के दौरान कही थी.


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कांग्रेस ने भागवत का यह बयान लपक‍ लिया. पार्टी ने दावा किया कि भागवत का यह बयान सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना है. बयान को 'भागवत बम' और 'अग्नि मिसाइल' बताते हुए कांग्रेस ने 'नॉन-बायोलॉजिकल पीएम' वाले हमले को आगे बढ़ाया. कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने भागवत का वीडियो शेयर करते हुए X पर लिखा, 'मुझे यक़ीन है कि स्वयंभू नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री को इस ताज़ा अग्नि मिसाइल की ख़बर मिल गई होगी, जिसे नागपुर ने झारखंड से लोक कल्याण मार्ग को निशाना बनाकर दागा है.' विपक्षी दलों से जुड़े कई लोगों ने भी सोशल मीडिया पर इसी तरह के कुछ कटाक्ष किए. 



मोहन भागवत ने झारखंड में क्या कहा था?


गुरुवार को झारखंड के बिष्णुपुर में भागवत ने कहा, '...इतना आगे इतना आगे इसका कोई छोर नहीं, जहां पूर्णता ही मर्यादा हो सीमाओं की डोर नहीं... विकास एक ऐसी चीज है. जहां तक विकास करने की सोची, वहां गए, वहां पहुंचने के बाद दिखता है कि इसके भी आगे है... लेकिन मानवता नहीं है, इंसानियत नहीं है... वो पहले असली मनुष्य बन जाए... वहां जाने के बाद उसको लगता है कि मनुष्य से सुपरमैन बन जाए, अति मानव... फिल्मों वगैरह में दिखाते हैं... मनुष्य अलौकिक बनना चाहता है... सुपरमैन बनना चाहता है... अति मानव बनना चाहता है... लेकिन वहां रुकता नहीं. उसको लगता है कि देव बनना चाहिए, वो देवता बनना चाहता है... लेकिन देवता कहते हैं कि हमसे तो भगवान बड़ा है... वो भगवान बनना चाहता है...'


भागवत ने आगे कहा, '...भगवान कहता है कि मैं तो विश्वरूप हूं... अभी तो आपको एक रूप में दिख रहा हूं, लेकिन सारे विश्‍व में व्याप्त बिना आकार का रूप है, वो असली मैं हूं. वहां भी कुछ है क्या रुकने की जगह या वहां से आगे भी कुछ है, यह कोई जानता नहीं. विकास का कोई अंत नहीं है, बाहर का विकास भी, अंदर का विकास भी... निरंतर करने की बात है. इसलिए हम सबको थोड़ा सा असमाधान रहना चाहिए कि इतना सारा किया लेकिन अभी ये रह गया है...'


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'कपड़े तो बदल सकते हैं मगर स्वभाव नहीं बदलेगा'


भागवत ने कहा कि मनुष्य को मानवता के लिए अथक परिश्रम करना चाहिए. साथ ही कहा कि एक कार्यकर्ता को अपने काम से कभी संतुष्ट नहीं होना चाहिए. भागवत ने कहा, 'काम जारी रहना चाहिए, पर्यावरण, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्रों में निरंतर कार्य करने का प्रयास करना चाहिए... इसका कोई अंत नहीं है और विभिन्न क्षेत्रों में निरंतर कार्य करना ही एकमात्र समाधान है...हमें इस विश्व को एक सुंदर स्थान बनाने का प्रयास करना चाहिए जैसी की भारत की प्रकृति है.'


RSS प्रमुख ने कहा कि सनातन धर्म मानव जाति के कल्याण में विश्वास करता है. उन्होंने कहा, 'सनातन संस्कृति और धर्म राजमहलों से नहीं, बल्कि आश्रमों और जंगलों से आए हैं. बदलते समय के साथ हमारे कपड़े तो बदल सकते हैं लेकिन हमारा स्वभाव कभी नहीं बदलेगा.' भागवत ने कहा, 'बदलते समय में अपने काम और सेवाओं को जारी रखने के लिए हमें नए तौर-तरीके अपनाने होंगे. जो लोग अपने स्वभाव को बरकरार रखते हैं, उन्हें विकसित कहा जाता है.'


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भागवत ने कहा, 'सभी को समाज के कल्याण के लिए अथक प्रयास करना चाहिए और जो लोग सही मायने में काम कर रहे हैं, उन्हें मंच से बोलना चाहिए जबकि हमें बैठकर सुनना चाहिए.' उन्होंने यह भी कहा कि आदिवासी पिछड़े हुए हैं और उनके लिए शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में काफी काम किये जाने की जरूरत है.