Mohan Bhagwat Vijayadashami Speech: RSS के विजयादशमी कार्यक्रम में बोले भागवत- जनसंख्या का सही संतुलन जरूरी, इसको बोझ न समझें
RSS Vijayadashmi: रेशमबाग कार्यक्रम के पथ संचालन, स्वयंसेवकों के मार्च और दीक्षाभूमि स्मारक पर भारी भीड़ को देखते हुए पुलिस ने शहर भर में सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतजाम किए हैं.
RSS Dussehra 2022: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत आज नागपुर के रेशमबाग में सालाना विजयादशमी कार्यक्रम को संबोधित किया. पर्वतारोही संतोष यादव कार्यक्रम की मुख्य अतिथि रहीं. संबोधन में सरसंघचालक ने कहा, आरएसएस के कार्यक्रमों में अतिथि के नाते समाज की महिलाओं की उपस्थिति की परम्परा पुरानी है. व्यक्ति निर्माण की शाखा का सिद्धांत पुरुष व महिला के लिए संघ और समिति अलग चलती है. बाकी सभी कार्यों में महिला पुरुष साथ में मिलकर ही काम करते हैं. मातृशक्ति की बराबरी पुरुष नहीं कर सकते. उन्होंने यह भी कहा कि जनसंख्या का सही संतुलन होना चाहिए, ये बोझ नहीं है.
'भारत बन रहा आत्मनिर्भर'
भागवत ने कहा, संयोग से आज के कार्यक्रम की मुख्य अतिथि संतोष यादव हैं, जो शक्ति और चेतना का प्रतिनिधित्व करती हैं. दो बार उन्होंने गौरी शंकर की ऊंचाइयों को पार किया है. उन्होंने कहा कि दुनिया में भारत का दबदबा बढ़ा है. सुरक्षा के मामले में भी हम अधिक से अधिक आत्मनिर्भर बन रहे हैं.
सरसंघचालक ने कहा, आत्मनिर्भर के पथ पर आगे बढ़ने के लिए उन मूलभूत सिद्धांतों और विचारों को समझना जरूरी है जो हमें एक राष्ट्र के रूप में परिभाषित करते हैं. आरएसएस चीफ ने कहा कि हमें महिलाओं को सशक्त करना चाहिए. महिलाओं के बिना समाज प्रगति नहीं कर सकता. हमारी इज्जत और साख दुनिया में बढ़ी है. जिस तरह से हमने श्रीलंका की मदद की और यूक्रेन-रूस युद्ध के दौरान जो स्टैंड लिया, दिखाता है कि हमारी बात सुनी जा रही है. उन्होंने यह भी कहा कि देश में अराजकता फैलाने की कोशिशें हो रही हैं.
रेशमबाग कार्यक्रम के पथ संचालन, स्वयंसेवकों के मार्च और दीक्षाभूमि स्मारक पर भारी भीड़ को देखते हुए पुलिस ने शहर भर में सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतजाम किए हैं. शहर में इस दौरान चार हजार पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है. आरएसएस के स्वयंसेवकों की दो विजयादशमी रैलियों के रास्तों पर कम से कम एक हजार पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है.
आरएसएस के लिए क्यों खास है दशहरा
आरएसएस के लिए दशहरा साल का सबसे बड़ा दिन है. वो इसलिए क्योंकि साल 1925 में दशहरे के दिन ही केशव बलिराम हेडगेवार ने संघ की स्थापना की थी. संघ अपना स्थापना दिवस नहीं मनाता. इसके बदले संघ दशहरा उत्सव मनाता है. इस दिन संघ के नागपुर मुख्यालय समेत विभिन्न दफ्तरों में शस्त्र पूजा की जाती है. इसके अलावा शक्ति की पूजा-अर्चना भी होती है. देश के अलग-अलग हिस्सों में पथ संचलन भी निकाले जाते हैं.
कोरोना महामारी के कारण दो साल तक संघ ने दशहरा कार्यक्रम आयोजित नहीं किया था. संघ के उत्सव में अलग-अलग क्षेत्रों के लोगों को बुलाने की पुरानी परंपरा रही है. पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भी आरएसएस के कार्यक्रम में शामिल हुए थे, जिसकी खासी चर्चा हुई थी.
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