Indian Railways: ट्रेन कितनी है लेट? रेलवे इस तकनीक का इस्तेमाल कर देती है रियल टाइम लोकेशन
Train Real Time location: इसरो (ISRO) अपने नेविगेशन सिस्टम नाविक (NaVIC) का उपयोग कर रहा है. भारतीय रेलवे और इसरो के बीच संयुक्त सहयोग से जहां ट्रेनों की रियल टाइम लोकेशन मिल रही है. वहीं हादसों को रोकने में भी इससे मदद मिल रही है.
Indian Railways Real Time Train Information System: कहीं जाना है तो आप गूगल मैप जैसी विदेशी तकनीक का इस्तेमाल करते हैं. भारत अब तकनीकि क्षेत्र में आत्म निर्भर हो रहा है. ऐसे में करोड़ों लोगों की लाइफ भारतीय रेलवे (Indian Railways) इसरो की मदद से न सिर्फ ट्रेन की रियल टाइम लोकेशन जान रहा है बल्कि भविष्य की रणनीति भी बना रहा है. सेंटर फॉर रेलवे इनफॉरमेशन सिस्टम यानी CRIS देशभर में चल रही सभी ट्रेनों पर पैनी नजर रखने के लिए इसरो के सेटेलाइट का इस्तेमाल कर रही है. इसरो के NAVIC का इस्तेमाल ट्रेनों की पोजीशन जानने के लिए किया जा रहा है.
कैसे मिलती है हर पल की ताजा खबर?
पहले ट्रेन के बारे में बस स्टेशन टू स्टेशन जानकारी मिलती थी और बीच में ट्रेन के साथ क्या हो रहा है ये पता नहीं लग पाता था. अब इस गैप की सटीक जानकारी हासिल करने के लिए भारतीय रेलवे ने इसरो से बैंड विथ लिया है. रेलवे ने नाविक (NAVIC) और भुवन सेटेलाइट के साथ अपना सिस्टम अपग्रेड किया है. अब हर ट्रेन के लोको में एक डिवाइस लगाई जा रही है जिसमें एक सिम (SIM) लगा होता है, उस सिम की वजह से ट्रेन की रियल टाइम पोजिशन सेटेलाइट को पता लगती है और वहां से रेलवे अधिकारियों को फीडबैक मिलता है. इससे आलमोस्ट रियल टाइम यानी करीब हर तीन सेकेंड में ट्रेन कहां है उसकी सटीक जानकारी मिल रही है.
आपात स्थितियों में सुरक्षा पहुंचाने में मिलती है मदद
आपातकालीन स्थिति जैसे प्राकतिक आपदा (लैंड स्लाइड या बाढ़) की चुनौती में अगर ट्रेन में मौजूद लोगों तक कोई मदद पहुंचानी है तो सही लोकेशन मिल जाती है. इससे डिजास्टर मैनेजमेंट का काम आसानी से हो सकेगा. लोगों का सफर सुरक्षित और मालगाड़ी से देश के व्यापार को रफ्तार देने के अलावा अलावा बॉर्डर एरिया में रसद और हथिय़ार पहुंचाने में भी रेलवे की भागीदारी बढ़ी है. ऐसे में सामरिक दृष्टि से भी रेलवे का ये सिस्टम बेहद कारगर है.
15 महीनों में पूरा होगा काम
क्रिस के एमडी के मुताबिक ट्रेनों में इंस्टाल हुआ रियल टाइम लोकेशन सिस्टम पूरी तरह स्वदेशी है. जो अगले 15 महीनों में देशभर की सभी ट्रेनों में इंस्टाल हो जाएगा. करीब 8700 लोकोमोटिव में ये सिस्टम इंस्टाल किया जाना है, जिसमें करीब 4000 हजार गाड़ियों में इसे लगाया जा चुका है. वहीं 4700 गाड़ियों में अभी इसे लगाया जाना बाकी है. जो नए लोकोमोटिव बनकर आ रहे हैं उनमें ये सिस्टम पहले से इंस्टाल है.
इसकी मदद से रेलवे मानव रहित फाटकों पर हो रहीं दुर्घटनाओं को रोका जा सकेगा. रेलवे का कहना है कि अपने सभी एप के जरिए उन्हें जो भी सूचना डाटा के रूप में मिलती है उसका एनलिसिस करके भविष्य की रणनीति बनाई जाती है.
रेलवे में AI का इस्तेमाल
ट्रेन के कोच बढ़ाने हो या किसी रूट पर गाड़ियों के फेरे बढ़ाना हर मुश्किल काम के लिए तकनीक की मदद ली जा रही है. डे टू डे इंफॉर्मेशन सिस्टम और फ्यूचर प्लानिंग दोनों जगह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल हो रहा है. भीड़ नियंत्रण के लिए एआई मशीन लर्निंग का इस्तेमाल हो रहा है. कुछ और काम जो रेलवे कर्मचारियों के लिए मुश्किल होते हैं वो भविष्य में AI लर्निंग मशीन के जरिए किए जाएंगे. इसके साथ रेल की पटरियों में सेंसर लगाए जा रहे हैं, ताकि रेल हादसों में कमी आ सके.
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