नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि सबरीमाला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने के उसके फैसले पर पुनर्विचार के लिए दायर याचिकाओं पर 22 जनवरी से शायद सुनवाई नहीं हो सके क्योंकि एक न्यायाधीश चिकित्सा वजहों से अवकाश पर हैं.


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प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ ने कहा कि सबरीमाला मामले में फैसला सुनाने वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ की एकमात्र महिला न्यायाधीश न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा चिकित्सीय कारणों से अवकाश पर हैं. 


पीठ ने यह टिप्पणी उस समय की जब राष्ट्रीय अय्यप्पा श्रृद्धालु एसोसिएशन की याचिका के बारे में उसके वकील मैथ्यू जे नेदुम्परा ने इसका उल्लेख किया और 22 जनवरी को पुनर्विचार याचिकाओं की सुनवाई का सीधा प्रसारण करने का अनुरोध किया.


एसोसिएशन ने पुनर्विचार याचिकाओं की सुनवाई के दौरान न्यायालय की कार्यवाही के सीधे प्रसारण और वीडियो रिकार्डिंग का अनुरोध किया है ताकि आम आदमी तक न्याय पहुंच सके.


याचिका में कहा गया है कि कार्यवाही के सीधे प्रसारण से केरल ही नहीं बल्कि भगवान अय्यप्पा के दुनिया भर में करोड़ों श्रृद्धालुओं को न्यायालय में होने वाली बहस को देखने और सुनने का अवसर मिलेगा.


पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 28 सितंबर, 2018 को बहुमत के फैसले में केरल स्थित प्राचीन सबरीमाला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देते हुये कहा था कि इनके प्रवेश पर प्रतिबंध लैंगिक पक्षपात है.


शीर्ष अदालत के इस फैसले का केरल में जबर्दस्त विरोध हो रहा है. न्यायालय की व्यवस्था आने से पहले तक इस मंदिर में दस वर्ष से 50 वर्ष तक की आयु की महिलाओं का प्रवेश वर्जित था.